भाइयों की जुगलबंदी से विद्यालय की शिक्षा व्यवस्था चौपट

* विद्यालय में पदस्थ अन्य शिक्षकों को दी जाती है धमकी
* मामला पिछोर के प्राथमिक विद्यालय भगवां का

शिवपुरी। प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन प्रदेश के विद्यालयों में कुछ ऐसे शिक्षक पदस्थ हैं जो कई माह तक विद्यालय नहीं जाते ऐसी परिस्थिति में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होना असंभव है। ऐसा ही एक मामला पिछोर क्षेत्र के शासकीय प्राथमिक विद्यालय भगवां का प्रकाश में आया है। जहां दो सगे भाई प्रधानाध्यापक व सीएसी हैं। दोनों की आपसी जुगलबंदी के कारण विद्यालय में अध्ययनरत छात्रों का भविष्य चौपट हो रहा है। इसकी जानकारी विद्यालय के शिक्षक रमेश कुमार झा ने एक आवेदन के माध्यम से दी है।

चार वर्षों से कर रहे हैं फर्जी हस्ताक्षर
पिछोर के शासकीय प्राथमिक विद्यालय भगवां में राजेन्द्र सोनी व रामकिशोर सोनी दो भाई क्रमश: प्रधानाध्यापक व सीएसी हैं जो विद्यालय में वर्ष 2009 से पदस्थ हैं। उक्त दोनों अधिकांशत: विद्यालय से नदारद रहते हैं। दोनों भाईयों ने विद्यालय में पदस्थ अन्य शिक्षकों पर दबाव बना रखा है जिसकी वजह से कोई भी शिक्षक इनके विरुद्ध मुंह खोलने का साहस नहीं जुटा पाता। गत चार वर्षों से दोनों भाई विद्यालय से अनुपस्थित रहकर फर्जी तरीके से उपस्थिति रजिस्टर में हस्ताक्षर कर वेतन आहरित कर रहे हैं।

गणवेश के बदले छात्रों से अवैध वसूली
गरीब छात्रों को शिक्षित करने के लिए शासन द्वारा मध्याह्न भोजन, किताबें व गणवेश जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं जिस पर शासन प्रतिवर्ष करोड़ों रुपया व्यय करता है जिससे गरीब छात्र शिक्षित हो सकें लेकिन पिछोर स्थित भगवां ग्राम के प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ राजेन्द्र सोनी व रामकिशोर सोनी शासन द्वारा छात्रों को मुफ्त दी जाने वाली गणवेश के बदले अवैध रूप से धनराशि वसूल कर रहे हैं जिसकी शिकायत बीआरसीसी व जिले के वरिष्ठ अधिकारियों से भी की गई लेकिन इनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई।

सैयां भए कोतवाल...
पिछोर क्षेत्रांतर्गत आने वाले प्राथमिक विद्यालय भगवां में पदस्थ प्रधानाध्यापक राजेन्द्र सोनी व सीएसी रामकिशोर सोनी शिक्षण कार्य में रुचि न लेते हुए एक-दूसरे द्वारा किए घालमेलों पर पर्दा डालने का प्रयास कर वरिष्ठ अधिकारियों को भ्रमित करने का कार्य कर रहे हैं ऐसी परिस्थिति में इनकी जांच कौन करेगा। वे इस कहावत को चरितार्थ करते नजर आते हैं सैयां भए कोतवाल तो अब डर का हे का।


निरीक्षण के नाम पर अवैध वसूली
जिला, तहसील व ब्लॉक स्तरों पर शिक्षा विभाग ने कई अधिकारी नियुक्त किए जिनके द्वारा विद्यालयों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती हैं। अधिकारियों द्वारा समय-समय पर विद्यालयों का निरीक्षण भी किया जाता है ऐसे घालमेल करने वाले शिक्षक अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दान-दक्षिणा देकर अपने पक्ष में कर लेते हैं। ऐसे शिक्षकों द्वारा विद्यालयों में किए जाने वाले घालमेलों से मिली राशि में से कुछ धनराशि निरीक्षणकर्ताओं को दे दी जाती है जिसकी वजह से ऐसे शिक्षकों के विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती। 

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