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जनमानस

कैंटीनों को अनुदान (सब्सिडी) क्यों


अभी समाचार पत्रों से पता लगा कि सांसदों को संसद की कैंटीन में दाल तीन रुपए में, टमाटर सूप के साथ ब्रेड आठ रुपए में, चिकन सैंडबिच 6 रुपए में, हलवा बारह रुपए में, चपाती एक रुपए में और चाय दो रुपए में, मिलती है और ऐसा इसलिए संभव है कि खर्चों की पूर्ति सरकार द्वारा दी गई सब्सिडी से होती है जो करोड़ों में होती है। इसी प्रकार सरकारी कार्यालयों में चलने वाली कैंटीनों को भी सब्सिडी मिलती है। क्या वेतन और भत्तों के रुप में लाखों रुपए पाने वाले हमारे सांसद अधिकारी और कर्मचारी गरीबी रेखा से नीचे के लोग हैं? यह सुविधाएं वीपीएल को नहीं है तो सरकारी (जनता) के धन पर सांसदों को क्यों दी जाती है। एक ओर सरकारी डीजल (जिससे महंगाई बढ़ती है) पर सब्सिडी खत्म करने जा रही है इन कैंटीनों पर करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। सरकार यह भी बजट में नहीं बताती है कि सभी कैंटीनों को एक वर्ष में कुल कितने रुपयों की सब्सिडी दी जाती है। सरकारी खर्चों को कम करने के लिए बयान तो बहुत दिए जाते हैं पर खर्चे कम होने की बजाय हर साल बढ़ते जाते हैं।

लालाराम गांधीनगर, ग्वालियर

Updated : 14 Aug 2014 12:00 AM GMT
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