जेटली ने पेश किया सरकार का पहला आर्थिक सर्वेक्षण
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नई दिल्ली। रेल बजट के ठीक एक दिन बाद आज लोकसभा में वित्तीय वर्ष 2014-15 का आर्थिक सर्वेक्षण पेश कर दिया गया। केंद्रीय वित मंत्री अरुण जेटली द्वारा पेश किये गये आर्थिक सर्वेक्षण में मोदी सरकार ने वित्तीय घाटा पाटने पर जोर दिया है।
जेटली ने लोकसभा में आर्थिक सर्वेक्षण पेश किया, जिसके माध्यम से उन्होंने देश की आर्थिक दशा और दिशा की जानकारी दी। इस आर्थिक सर्वेक्षण के माध्यम से बताया गया कि वित्तीय सुधारों की नई लहर वैश्विक भारत के लिए संस्थागत आधार को मजबूत बनाएगी। साथ ही औद्योगिक प्रगति के लिए बेहतर नीतिगत माहौल बनाया जायेगा। जेटली ने बताया कि वर्ष 2013-14 में वित्तीय घाटा जीडीपी का 4.5 फीसदी है। मोदी सरकार इसे पटरी पर लाने का प्रयास करेगी। आर्थिक सर्वेक्षण में सरकार को वित्तीय मजबूती के जरिए निम्न और स्थिर मुद्रास्फीति की स्थिति की ओर बढने को कहा गया है। सब्सिडी योजना में सुधार की बात कही गयी है और जिम्मेदार वित्तीय नीति के लिए नई सोच की जरूरत बतायी गई है। इसमें संकेत दिया गया है कि सरकार को सामाजिक क्षेत्र के लिए कार्यक्रम तैयार करने और क्रियान्वयन में मानव विकास पर ध्यान देना होगा।
साथ ही महिलाओं और बच्चों के विकास एवं विकास प्रक्रिया को शामिल करने के लिए सकारात्मक कार्रवाई की योजना बनाने की बात कही गयी है। कृषि क्षेत्र में चुनोतियां एवं अपेक्षित सुधार की जरूरत है। व्यापार में , 27.8 प्रतिशत की तीव्र गिरावट के साथ सुधार की गुंजाइस बतायी गई है। जेटली ने बताया कि सक्रिय नीति कार्रवाई ने 2013-14 के दौरान वित्तीय फिसलन की रोकथाम की और वित्तीय स्थिति सुदृढ़ बनी रही।
आज जारी आर्थिक सर्वेक्षण 2013-14 में केन्द्र सरकार का वित्तीय निष्कर्ष मध्यम मध्यावधि वित्तीय नीति विवरणों के अनुसार निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप रहा और आर्थिक मंदी की वृहद आर्थिक चुनौतियों, विश्व में कच्चे तेल बढ़ते मूल्यों और निवेश की मंद गति के बावजूद इन्हें अर्जित किया गया। 2013-14 के दौरान वित्तीय घाटा 508149 करोड़ रूपए पर रोका गया, जो सकल घरेलू उत्पाद का 4.5 प्रतिशत है। 2012-13 में यह 4.9 प्रतिशत था। 2013-14 में राजस्व प्राप्ति 1015279 करोड़ रूपए होगी, जो सकल घरेलू उत्पाद का 8.9 प्रतिशत है। इस वर्ष सकल राजस्व 1133832 करोड़ रूपए होने का अनुमान है, जो सकल घरेलू उत्पाद का 10 प्रतिशत है। कुल अप्रत्यक्ष कर वसूली 2013-14 में 496231 करोड़ रूपए होने का अनुमान है, जो 2012-13 में 473792 करोड़ रूपए थी।
2013-14 में गैर कर राजस्व बढ़कर 199233 करोड़ रूपए हो गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में 45 प्रतिशत अधिक है। केन्द्र सरकार का कुल व्यय 1563485 करोड़ रूपए था, सकल घरेलू उत्पाद का 13.1 प्रतिशत है। कर राजस्व और विनिवेश प्राप्तियों में गिरावट और अधिक बजट अनुदानों, ब्याज और पेंशन भुगतान के बावजूद वित्तीय मजबूती पूंजीगत परिसम्पत्तियों और पूंजीगत व्यय के सृजन के लिए अनुदानों को कम करके प्राप्त किया गया है। निवेशक का आधार विस्तृत करने और प्रतियोगी बाजार का विकास करने के लिए सरकार ने मुद्रास्फीति सूचीबद्ध बॉण्ड शुरू किये गये। देश की ऋण स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन हुआ है और केन्द्र तथा राज्य सरकारों की कुल बकाया देनदारियां कम हुई है।
आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार वैश्विक और घरेलू चुनौतियों के बावजूद अर्थव्यवस्था में 2013-14 के दौरान लक्षित वित्तीय मजबूती आई है, लेकिन ऐसा व्यय में कटौती करके किया गया है, जो किसी अर्थव्यवस्था के लिए अस्थिर है। खाद्य, उर्वरक और पैट्रोलियम में सब्सिडी का जोखिम बहुत महत्वपूर्ण है। वित्तीय मजबूती को केवल व्यय में कटौती करके नहीं, बल्कि आंशिक रूप से उच्च कर-सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के माध्यम से अर्जित करना बेहतर है।
गौरतलब है कि आर्थिक समीक्षा केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय का वार्षिक दस्तावेज है, जिसमें वह विगत 12 महीनें में भारतीय अर्थव्यवस्था में घटनाक्रमों की समीक्षा करता है, प्रमुख विकास कार्यक्रमों के निष्पादन का सार प्रस्तुत करता है और सरकार की नीतिगत पहलों तथा अल्पावधि से मध्यावधि में अर्थव्यवस्था की संभावनाओं पर विधिवत प्रकाश डालता है। इस दस्तावेज को बजट सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में पेश किया जाता है।
इसके बाद गुरूवार को आम बजट पेश होगा, जिसमें वित्त मंत्री प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘‘अच्छे दिन‘‘ वाले एजेंडे की झलक दे सकते हैं। रेल बजट के बाद देश के लोग मोदी सरकार के आम बजट को लेकर काफी बेताब हैं। उनकी निगाहें आज के आर्थिक सर्वेक्षण और कल के आम बजट पर लगी हैं।
बुधवार को मोदी सरकार का पहला रेल बजट पेश हुआ, जिसके बाद प्रधानमंत्री ने कहा कि देश में पहली बार समग्र रेल बजट प्रस्तुत हुआ है। उन्होंने भारतीय रेल को देश के विकास का इंजन बताया।