जनमानस

तमिलनाडु राजनीति का अंग्रेजी मोह


देश की तमाम क्षेत्रीय भाषाओं का सम्मान राष्ट्रभाषा हिन्दी के बढ़ावा देने में ही निहित हो सकता है। तमिलनाडु के आमजन व खासकर युवावर्ग हिन्दी सीखने की जिज्ञासा में समग्र भारत में अपनी रोजगार की स्थिति को मजबूत करने के लिए सतत् संलग्न है परन्तु तमिलनाडु की राजनीति तमिल भाषा के कोरे पक्ष में अंग्रेजी को अपनाकर मैकाले की भाषायी गुलामी में राजनीति की सुरक्षा देख रही है जो तमिलनाडु व राष्ट्र के दृष्टिकोण में उचित नहीं। यही नहीं तमिलनाडु की राजनीति हमारी न्यायव्यवस्था को भी भंग करने के लिए तैयार है।
राजीव गांधी के हत्यारों के प्रति तमिलों के नाम पर जो राजनीति की गई उससे भी तमिलनाडु राजनीति की अंग्रेजी मानसिकता को पढ़ा जा सकता है। क्या तमिलवासियों को भिन्न-भिन्न अलगाव के उपायों से जबरिया बांधना और राष्ट्रीय भावना से वंचित रखना तमिलनाडु राजनीति के हिन्दी विरोध का मुख्य कारण नहीं है? क्या तमिलनाडु राजनीति की ऐसी साजिशी दशा पर उनके दबाव को स्वीकारना राष्ट्रीय राजनीति के लिए खतरनाक नहीं है?
हरिओम जोशी, भिण्ड

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