जनमानस
स्वतंत्र भारत और भ्रष्टाचार
भारत में कहने को तो लोकतंत्र है परन्तु वास्तव में क्या हम लोकतंत्र की परम्परा का अनुपालन कर रहे हैं, जिन जन प्रतिनिधियों को हमने चुना है क्या वो लोकतंत्र को साकार कर पा रहे हैं? अगर नहीं तो कौन है इसका जिम्मेदार जनता या सरकार?
हम हमेशा अपने देश की विकास गति वाधित होने समस्याओं का समाधान न होने तथा भ्रष्टाचार के लिए अपने देश के नेताओं को पूर्ण रूप से उत्तरदायी ठहराते हंै, जबकि सच्चाई के साथ स्वीकार करें तो हम स्वयं भी इसके लिए जिम्मेदार हैं। चुनाव के समय वोट मांगने आने वाले प्रत्याशियों व नेताओं से कितने मतदाता साफ-साफ यह कह पाते हैं कि विकास के सार्वजनिक कार्यों को यदि आप प्राथमिकता से कराने का वादा करें तभी हम अपना मत आपको देंगे। हम खुद यह सोचने लगते है कि यदि हमारा पहचान वाला व्यक्ति चुन लिया गया तो हमारे काम आसानी से हो जाएंगे।
नवीन चौधरी ग्वालियर