आराध्य ज्योति आज भी प्रज्ज्वलित

दतिया। सिंधी समाज की आराध्य एवं श्रद्धा का प्रतीक अखण्ड ज्योति भारत-पाक विभाजन के बाद पाकिस्तान से लाई गई। संत हजारीराम द्वारा जल में से जलती हुई प्रकट की गई ज्योति आज भी देश के दतिया जिले में अखण्ड प्रज्वलित है। इसकी भारत ही नहीं एवं विदेशों में भी उसकी मान्यता दिनों दिन बढ़ती जा रही है।
खासकर पाकिस्तान में इसकी मान्यता भारत से ज्यादा है। ऐसा मानना है कि 220 वर्ष पूर्व पाकिस्तान के बरदाड़े गांव सिंध में रतनलाल जी के घर जन्मे संत हजारीराम का शुरू से आध्यात्मिकता की ओर झुकाव था। आप संत दादूराम आश्रम के पक्के सेवादार थे। तथा आश्रम में ही सेवा करते थे। नदी से जल लाकर प्रतिदिन प्रात: आश्रम के लिये लाते थे। एक दिन अचानक आप नदी की तीव्र धारा में कू द गए। उधर दूसरी ओर यह खबर सुनते ही सारे गांव में सनसनी फैल गई और सभी ग्रामवासी नदी के सामने संत हजारीराम प्रार्थना करने लगे। लगभग 9 दिन के पश्चात् संत हजारीराम जल में से जलती हुई अखण्ड ज्योति लेकर प्रकट हुए। सभी ग्रामवासी यह देखकर हतप्रभ हो गए और संत हजारीराम साहब के सामने नतमस्तक हो गए। संत हजारीराम को वरुण अवतार के रूप में माना गया तथा उनके द्वारा प्रज्वलित ज्योति को निरन्तर प्रज्वलित रखने के लिए संत साधुराम ने सभी को कहा तब से आज तक ज्योति निरंतर प्रज्वलित है और भारत पाक विभाजन के पश्चात् यह ज्योति म.प्र. के दतिया जिले में आकर संत हजारीराम मंदिर गाड़ी खाने के पास स्थापित की गई और ज्योति को प्रतिवर्ष स्नान कराया जाता है। जिसमें भारत देश के कोने-कोने से सिंधी समाज के महान संतगढ़ तथा श्रद्धालुजन आते हंै। वहीं 9 दिन की आराधना मंदिर में रहकर करते हंै। जो कि संत हजारीराम जी के लिए की गई। वहंी इस महोत्सव में 2 दिन दतिया जिले का पूरा सिंधी समाज एकत्रित होकर हर्षाेल्लास के साथ संत हजारीराम का ज्योति स्नान महोत्सव मनाते हैं।