प्रक्रिया प्रारंभ होने के बाद नियम नहीं बदल सकते : न्यायालय

मामला प्रदेश में आयुष चिकित्सकों की भर्ती का

ग्वालियर। उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने शासन की कार्यप्रणाली को अनुचित मानते हुए कहा कि एक बार प्रक्रिया के प्रारंभ होने के बाद किसी भी परिस्थिति में नियमों में बदलाव नहीं किया जा सकता। न्यायमूर्ति शील नागू ने याची समेत पांच अन्य को राहत देते हुए शासन को आदेश दिया कि वह याचियों का परिणाम घोषित करे और नियमनुसार उन्हें जो भी लाभ दिए जा सकते हैं, दो माह में उन्हें वह सभी लाभ दें। दिनेश कुमार यादव ने याचिका दायर करते हुए बताया कि शासन ने आयुष चिकित्सकों की भर्ती के लिए पांच जून 2013 को समाचार पत्रों में विज्ञापन निकलवाया। फार्म भरने की अंतिम तिथि पांच जुलाई 2013 थी। सात जुलाई को शासन ने नियमों में परिवर्तन करते हुए आवेदकों की आयु सीमा को 60 से घटाकर 40 कर दिया। इसके चलते उन्होंने परीक्षा में तो बैठने दिया लेकिन उनका परिणाम रोक दिया क्योंकि उनकी आयु 40 वर्ष से ज्यादा है। याची के अभिभाषक अनिल मिश्रा ने दलील दी कि शासन द्वारा किया गया बदलाव मध्यप्रदेश आयुर्वेदिक /होम्योपैथिक/यूनानी कांट्रेक्ट सर्वेंट एप्लीकेशन एन्ड कंडीशन आफ सर्विस रूल के खंड (6) का उल्लंघन है। उन्होंने बताया कि खंड (6) में स्पष्ट लिखा है कि इस पद के लिए आवेदक की अधिकतम आयु सीमा 60 वर्ष है। फार्म जमा करने की तिथि निकलने के बाद शासन ने नियमों में बदलाव किया जो नियमों के विरुद्ध है। उनके तर्कों से सहमति जताते हुए न्यायालय ने उक्त आदेश दिया। जानकारी के अनुसार प्रदेश में कुल 550 पदों पर एक साल के लिए आयुष चिकित्सकों की भर्ती होना है। 

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