जनमानस
टूटते परिवारों के कारण खोजें
भारतीय संस्कृति व उसकी आदर्श परम्पराओं के कारण भारतीय महिलाओं का विश्व में सर्वश्रेष्ठ स्थान बन गया। हमारे देश में वह कुल, परिवार का सौभाग्य होकर उसे सौभागिनी कहा जाता है। भारतीय महिला की गरिमा, प्रतिष्ठा, ममता, सौम्यता व शालीनता के जितने भी अलंकरण है, उनमें उसका व्यक्तित्व निखारने का महत्व परिधान पहनने का भी है। भारतीय नारी की पहचान में उसका महत्वपूर्ण योगदान साड़ी ही है, बिन साड़ी के वह अधूरी भी है। साड़ी परिधान का भारतीय संस्कृति में उसका चोली दामन का रिश्ता है। पूरे भारत में 70 प्रतिशत गृहणियों का प्रमुख पहनावा साड़ी-पेटीकोट है। केरल, उप्र, राजस्थान, म.प्र., बिहार, मारवाड़, राजस्थान, हरियाणा जैसे प्रांतों को महिलाओं का साड़ी प्रधान मुल्क कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी। अपवाद के रूप में विवाह पूर्व लड़की जीन्स, कुर्ता, सलवार, फैंसी ड्रेस के कपड़े पहनना तो सामान्य है, लेकिन विवाह पश्चात हमारे समाज व देश की सामाजिक परम्परा, संस्कृति के अनुसार ही उसे अपने गृह संसार का संचालन करना होता है। जैन, अग्रवाल, माहेश्वरी, वैश्य, ब्राह्मण, क्षत्रिय समाज में विवाह उपरांत महिला को अपने कुल परिवार की मर्यादा संस्कृति के अनुसार परिधान धारण करने की परम्परा है। अब साड़ी को लेकर जीन्स, कुर्ता पहनने के कुछ मामलों को खड़ा कर दाम्पत्य जीवन में खटास घोल दी और मामला कोर्ट में तलाक तक की सीमा में पहुंच चुका।
एस.सी.कटारिया, रतलाम