जनमानस
प्रकृति से छेड़छाड़ ठीक नहीं
आज सुबह एक अखबार में सुर्खी पढ़ी। बद्रीनाथ में बादल फटने से राष्ट्रीय राजमार्ग 20 मीटर तक बह गया। पिछले वर्ष केदारनाथ में बादल फटने से भयंकर तबाही हुई थी, इसकी क्या वजह है। प्रकृति से नाजायज छेडख़ानी करना है। प्रकृति के सुरम्य वादियों में स्थित प्राचीन मंदिर तीर्थ स्थलों पर विकास के नाम पर क्रांक्रीट के जंगलों को खड़ा करना ही तबाही का बड़ा कारण है। हम पवित्र भाव से तीर्थ भ्रमण पर जाते है। तब हमें प्रकृति के संसाधनों पर आधारित दिनचर्या अपनानी चाहिए। हम प्रकृति के सुरम्य वातावरण में भी अपनी भौतिक जीवन शैली को अपनाए रखते हैं। इसी लालसा ने तीर्थों पर फाइव स्टार होटलों का निर्माण किया और पिकनिक मनाने जाते हैं। जिन्दगी का सुख भोग की लालसा से जाते है और पहाड़ों को समतल कर होटल बनाते हैं। हमें प्रकृति के साथ मैत्रीभाव के साथ जाना चाहिए, प्रकृति से बेवजह छेड़छाड़ ठीक नहीं है। हमें पूर्व घटनाओं से सबक लेना चाहिए अन्यथा आस्था पर तबाही भारी पड़ती रहेगी।
कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, ग्वालियर