बोनस अंकों का अजीब खेल, मिलते हैं पर जुड़ते नहीं

विद्यार्थियों को नहीं होता लाभ

ग्वालियर । खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को हाईस्कूल और हायर सेकेण्डरी की बोर्ड परीक्षा में बोनस के रूप में अतिरिक्त अंक मिलते हैं, लेकिन फिर भी खेलों में छात्र-छात्राओं की रुचि लगातार कम हो रही है। कारण! स्कूल शिक्षा विभाग खेलों के नाम पर बोनस के रूप में मिलने वाले अतिरिक्त अंक छात्र-छात्राओं के मूल अंकों में नहीं जोड़ता है। इसके अलावा शासन स्तर पर विभिन्न पदों के लिए होने वाली भर्ती में भी इन अंकों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है।
यह बात सर्व विदित है कि जीवन में खेलों का विशेष महत्व है। खेलों में भाग लेने से स्वास्थ्य पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। दौडऩे या क्रिकेट, टेनिस, हॉकी, कबड्डी आदि खेलने से हमारी सांस लेने की क्षमता दो से तीन गुना बढ़ जाती है, शरीर में हमारे रक्त का परिसंचरण भी सुधर जाता है, दिमाग भी ठंडा रहता है। स्वस्थ रहने के अलावा खेलों में भाग लेने से हम दोस्ती और विश्वास को भी बढ़ा सकते हैं, लेकिन स्कूल स्तर पर आयोजित होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में खिलाडिय़ों की घटती संख्या को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि खेलों से होने वाले अप्रत्यक्ष शारीरिक लाभ से कहीं ज्यादा छात्र-छात्राओं की दिलचस्पी प्रत्यक्ष लाभ में है। वे चाहते हैं कि खेल विधाओं में भाग लेने पर बौनस के रूप में मिलने वाले अतिरिक्त अंक उनके मूल अंकों में जोड़े जाना चाहिए या फिर शासकीय सेवा में विभिन्न पदों की भर्ती में इन अंकों का महत्व प्रदर्शित होना चाहिए।
जानकारी के अनुसार स्कूल शिक्षा विभाग हर साल शिक्षा सत्र के दौरान स्कूल स्तर से जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन करता है। राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं को बतौर बौनस 10, राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाले को 20 और अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेने वाले को 30 अंक प्रदान किए जाते हैं। छात्र-छात्राएं चाहते हैं कि यह अंक उनके मूल अंकों में जुडऩा चाहिए, लेकिन यह अंक अंकसूची में अलग लिखे हुए होते हैं, जिनका कोई महत्व नहीं है। विभिन्न विभागों में रिक्त पदों के लिए होने वाली भर्ती में भी इन अंकों की कोई उपयोगिता नहीं है।


इनका कहना है
पिछले साल 10वीं एवं 12वीं के 170 छात्र-छात्राएं राज्य व राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में शामिल हुए थे, जिन्हें बौनस के रूप में अतिरिक्त अंक मिले थे। इस साल भी करीब दो सैकड़ा छात्र-छात्राएं राज्य स्तर पर और 13 छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय स्तर खेलने गए थे। इन्हें बौनस के रूप में अतिरिक्त अंक मिले हैं या नहीं? यह तो अंकसूची आने के बाद पता चलेगा, लेकिन यह अंक मूल अंकों में क्यों नहीं जोड़े जाते हैं? इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है।
होतम सिंह कुशवाह, जिला खेल अधिकारी
स्कूल शिक्षा विभाग, ग्वालियर

राज्य व राष्ट्रीय स्तर की खेल प्रतियोगिताओं में भाग लेने वाले छात्रों को मिलने वाले बौनस अंक उनके मूल अंकों में क्यों नहीं जोड़े जाते हैं? इस बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है। यह तो उच्च स्तर का मामला है। अत: इस मामले में आप भोपाल में बैठे किसी उच्च अधिकारी से ही बात करें।
आर.पी. बरेहिया, संभागीय अधिकारी
माध्यमिक शिक्षा मंडल, ग्वालियर

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