जान जोखिम में, छात्र कैसे करें शिक्षा ग्रहण
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*कीचडय़ुक्त गंदगी में पढऩे को विवश हैं छात्र *विद्यालय के कक्षों तक पहुंचने के लिए नहीं है रास्ता
शिवपुरी। शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए शासन द्वारा भरसक प्रयास किए जा रहे हैं जिससे प्रदेश का कोई भी बच्चा निरक्षर न रह जाए, लेकिन ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर पर शिक्षा विभाग में पदस्थ अधिकारियों के भ्रष्टाचार व लापरवाहीपूर्ण रवैए के चलते प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह की मंशापूर्ण कैसे हो सकेगी?
शासकीय विद्यालयों की हालत बद से बदतर स्थिति में है, तब यह कैसे संभव है कि प्रदेश का प्रत्येक बच्चा साक्षर हो सकेगा? जबकि प्रदेश सरकार के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने, विद्यालयों की मरम्मत, छात्रों की बैठक व्यवस्था, पेयजल व शौचालयों के लिए प्रतिवर्ष हजारों रु. की धनराशि प्रत्येक विद्यालय को मुहैया कराई जाती है लेकिन जिला मुख्यालय से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में शासन द्वारा संचालित विद्यालयों की हालत खस्ता जिनमें शक्षा ग्रहण करना तो दूर प्रवेश द्वार तक पहुंचना भी कठिन है। बदरवास में ऐसा ही एक मामला प्रकाश में आया है जहां पर छात्रों को विद्यालय भवन के कक्ष तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है।
मरम्मत के लिए धनराशि स्वीकृत
शासकीय-अशासकीय विद्यालयों में वर्ष 2014-15 का शिक्षण सत्र प्रारंभ हो चुका है। निजी विद्यालय जहां नई सजधज के साथ अपनी तैयारियां कर छात्रों व अभिभावकों को अपनी ओर आकर्षित करने का प्रयास कर रहे हैं वहीं बदरवास हाईस्कूल में शासन द्वारा संचालित विद्यालय में चारों ओर कीचडय़ुक्त गंदगी का साम्राज्य फैला है जिसमें छात्रों को कक्षा तक पहुंचने के लिए जद्दोजहद करना पड़ती है। जबकि शासन द्वारा प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों की मरम्मत के लिए प्रतिवर्ष 15 से 20 हजार तथा हाईस्कूल व इंटर कॉलेजों के लिए 25 से 30 हजार की धनराशि स्वीकृत की जाती है लेकिन बदरवास में पदस्थ बीईओ, बीआरसी के पदस्थ होने के बावजूद विद्यालय अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है।
आंखन के अंधे नाम नयनसुख,
जिले में बदरवास कस्बे में संचालित हाईस्कूल की दुर्दशा को देखकर यह आभास होता है कि यह विद्यालय न होकर कोई बूचडख़ाना हो जहां कीचडय़ुक्त गंदगी का साम्राज्य है लेकिन बदरवास में पदस्थ शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने ग्रीष्मकालीन अवकाश गुजर जाने के बावजूद इसे सुधारने के प्रयास नहीं किए जिससे छात्रों को विद्यालय आने में असुविधा का सामना न करना पड़े। शिक्षा विभाग के अधिकारी इस कहावत को चरितार्थ करते प्रतीत होते हैं, आंखन के अंधे नाम नयनसुख,
छात्रों में संक्रामक रोग फैलने का है खतरा
यहां हाईस्कूल भवन के चारों ओर कीचडय़ुक्त गंदगी का साम्राज्य फैला है जिसमें सुअरों का आतंक बना रहता है। प्रदेश सरकार जहां एक ओर स्वाइन फ्लू से बचने के लिए चेतावनी जारी कर रही है। वहीं इस गंदगी से छात्रों में संक्रामक रोग फैलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता है।
खतरनाक स्थिति में भवन
कस्बे में ही संचालित हाईस्कूल विद्यालय भवन के कक्षों की दीवारें व छतें फट गई हैं जिससे विद्यालय में छात्रों के साथ कभी भी कोई गंभीर हादसा घटित हो सकता है। भ्रष्टाचार में लिप्त अधिकारी व विद्यालय के प्राचार्य द्वारा शासन द्वारा मरम्मत के लिए दी गई धनराशि का बंदरबांट कर छात्रों की जान जोखिम में डालने से भी नहीं चूक रहे।
शिकायत के बावजूद नहीं हुई कार्रवाई
जिलेभर में शासन द्वारा संचालित शासकीय विद्यालयों की हालत बद से बदतर स्थिति में है। बदरवास ब्लॉक स्तर पर हाईस्कूल की जब यह स्थिति हैं तो दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों के विद्यालयों की हालत क्या होगी इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। जागरूक नागरिकों व अभिभावकों ने बीआरसी, बीर्ईओ व विद्यालय प्राचार्य से शिकायत भी की लेकिन कोई सार्थक कार्रवाई नहीं की गई।