आदेश का पालन करे या परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहें

प्रमुख सचिवों को हाजिरी माफी के साथ मिली चेतावनी
ग्वालियर । एक साल बीतने के बाद भी पंचायत विभाग के कर्मचारी को पांचवे व छठवे वेतनमान का लाभ नही देने पर उच्च न्यायालय की ग्वालियर खण्डपीठ ने नाराजगी जताई है। न्यायमूर्ति रोहित आर्या ने पंचायत एवं ग्रामीण विकास और समान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को आदेश का पालन करने के लिए अंतिम अवसर देते हुए कहा कि अगर अगली सुनवाई तक याची को नियमनुसार लाभ नही दिया गया तो उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी।
मामला तिलहन संघ के कर्मचारी दिनकर प्रताप सिंह चौहान का है जिनका संविलियन कर पंचायत विभाग में स्थानांतरित कर दिया गया था। पूर्व में उन्होंने पांचवे व छठे वेतनमान का लाभ न मिलने के चलते याचिका दायर की थी जिसे निराकृत करते हुए न्यायालय ने याची व अन्य को लाभ देने का आदेश दिया था। उच्च न्यायालय के इस आदेश के विरुद्ध शासन ने सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका दायर की थी जो 15 अप्रैल 2103 को खारिज हो गई थी। एक साल का समय बीतने के बाद भी आदेश का पालन नही होने पर अवमानना याचिका दायर की गई। सात मई को सुनवाई करते हुए पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग की प्रमुख सचिव अरुणा शर्मा व सामान्य प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव के. सुरेश को न्यायालय में उपस्थित होने का आदेश दिया था।
आज हुई सुनवाई में प्रमुख सचिवों को पक्ष रखते हुए शासकीय अधिवक्ता ने बताया कि मुख्य सचिव के साथ बैठक होने के चलते संबंधित अधिकारी उपस्थित होने में असमर्थ है । उन्होंने कहा कि याची के अलावा प्रदेश के 254 कर्मचारियों को भी पांचवे और छठवे वेतनमान का लाभ देना है। जिसके लिए शासन द्वारा प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। इस पर न्यायालय ने दोनों प्रमुख सचिवों को हाजिरी माफी देते हुए पूर्व में दिए आदेश का पालन करने का अंतिम अवसर दिया। न्यायालय ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर दो जुलाई तक आदेश का पालन नही किया गया तो संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी। इस प्रकरण में याची का पक्ष अभिभाषक अजय भार्गव रख रहे हैं।