जमाखोरी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाएं राज्य सरकार: केंद्र
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नई दिल्ली। केंद्र ने राज्य सरकारों से जमाखोरी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने को कहा है। आलू और मोटे अनाज आदि की कीमतों में तेजी से मई में थोक मुद्रास्फीति पांच महीने के उच्च स्तर 6.01 प्रतिशत पर पहुंच गई है। सरकार ने आशंका जताई है कि कुछ लोग कमजोर मानसून की आशंका को देखते हुए भंडार रोक रहे हैं।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) आधारित मुद्रास्फीति पर आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, आलोच्य अवधि में आलू की कीमतों में एक साल पहले से 31.44 प्रतिशत, फलों में 19.40 प्रतिशत और चावल की कीमतों में 12.75 प्रतिशत की वृद्धि की वजह से मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा है।
इस संबंध में, विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून सामान्य से कम रहने की आशंका, इराक में राजनीतिक तनाव तथा तेल कीमतों में वृद्धि से आने वाले समय में मुद्रास्फीति और बढ़ सकती है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मुद्रास्फीति के बारे में कहा, सरकार मामले से वाकिफ है और वह आपूर्ति संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध है। खाद्य उत्पादों की कीमतों में वृद्धि कमजोर मानसून की आशंका में भंडार रोके जाने के कारण भी हो सकती है।केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि राज्य सरकारों को जमाखोरी के खिलाफ प्रभावी कदम उठाने चाहिए। जेटली ने कहा, सरकार ऐसे कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिससे जीडीपी पर सकारात्मक असर पड़ेगा। मुझे उम्मीद है कि फिलहाल ऊपर की ओर जा रही मुद्रास्फीति धीरे-धीरे नीचे आएगी। आने वाला समय मुश्किलों से भरा है, यह संकेत देते हुए बार्कलेज (इंडिया) के मुख्य अर्थशास्त्री सिद्धार्थ सान्याल ने कहा, कमजोर मानसून और इराक में भू.राजनीतिक तनाव के चलते तेल की वैश्विक कीमतों को लेकर अनिश्चितता से जोखिम बढ़ा है। गौरतलब है कि पिछले महीने खाद्य मुद्रास्फीति 9.50 प्रतिशत रही, जबकि विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 3.55 प्रतिशत थी। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 5.20 प्रतिशत और पिछले साल मई में 4.58 प्रतिशत थी। मार्च के लिए थोक मुद्रास्फीति के आंकड़ों को संशोधित कर 6 प्रतिशत कर दिया गया है जो पहले 5.70 प्रतिशत बताया गया था।