जनमानस
म.प्र. में भी टोल नाके समाप्त करें
महाराष्ट्र में राज ठाकरे की पार्टी मनसे ने टोल नाकों का घोर विरोध किया था। कई जगहों पर तोड़-फोड़ भी की गई थी। अब महाराष्ट्र सरकार ने 44 टोल नाके समाप्त कर दिए हैं, बेशक महाराष्ट्र सरकार इसके लिए बधाई की पात्र है, क्योंकि टोल नाकों की अवधारणा ही गलत है। इसीलिए आम जनता भी टोल नाकों के नाम से ही नफरत करती है। चूंकि सरकार हजार तरीकों से जनता से पैसे इक_े करती है, सरकार का काम ही सड़कें बनाना, बांध बनाना, स्कूल बनाना वगैरह-वगैरह है। टोल टैक्स लेना तो बेहद अनैतिक कार्य है, क्योंकि सरकार पेट्रोल व डीजल पर प्रति लीटर 2 रु. सड़क विकास कर लेती है, सभी वाहनों से रोड टैक्स लेती है व बड़े वाहनों से परमिट के पैसे भी वसूलती है। एक तरफ जागीरें खत्म की गई है तो दूसरी तरफ 25-30 साल के लिए अमीर ठेकेदारों को टोल नाके देना एक जागीर बनाने के समान है। टोल टैक्स भी सिर्फ आम आदमी ही देता है। अफसर, नेता व गुंडे टोल टैक्स नहीं देते। टोल नाकों पर वाहनों का आवागमन रुकता है व लोगों का समय बिगड़ता है। नाकों पर किसानों से भी टैक्स लिया जाता है, जबकि उनसे कृषि उपज मंडी में भी ग्रामीण सड़क विकास के नाम से प्रति क्विं. कृषि उपज पर कर लिया जाता है। क्या सरकार अच्छी पढ़ाई के नाम पर सरकारी स्कूलों को भी ठेके पर दे देगी? सड़कें बनाना, उनका रखरखाव करना सरकार का काम है। यदि सरकारी कारिंदे व ठेकेदार गड़बड़ करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई करने में कौन सी परेशानी है? आशा है कि अब म.प्र. शासन भी प्रदेश में टोल नाके समाप्त करेगी।
राजवीरसिंह, इन्दौर