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जनमानस

धन्य हो गई संसद, धन्य हो गया देश


मोदी के साथ स्वदेश 21 मई 2014 अंक में भी मुख्य पृष्ठ की शानदार प्रमुखता और शोध मय विचारों के आकर्षण से मन मोह लिया। विशेष संपादकीय मां की गोदी में मोदी और भाजपा। भावुक जनता पार्टी क्या शब्द गढ़े हंै जितनी प्रशंसा की जाए कम है। संसद मेरा मंदिर पार्टी मेरी मां और संगठन से बड़ा कोई नहीं इन मोदी के हृदय अनुरागी विचारों के बाद राष्ट्र के लिए पूर्ण समर्पित इस योद्धा के बारे में पक्ष-विपक्ष को कोई शक-सुबहा नहीं रह गई होगी। लगता है मोदी की जिव्हा पर मां सरस्वती विराजमान हैं और स्वामी विवेकानन्द के ज्ञान का संबल उनके वक्ताई कौशल को निकास दे रहा है। संसद के इतिहास में संसद की सीढिय़ों पर मत्था टेकने वाले मोदी ने संसद को सम्मान की शानदार परिभाषा दी है। संसद पर आतंकी हमले और संसद की कार्रवाई के एक से बढ़कर एक घिनौने हंगामों पर मोदी के इस सम्मान ने न सिर्फ अपने सांसदों को शानदार सीख दी है बल्कि दुश्मनों को भी चेतावनी दी कि संसद की तरफ आंख उठाने वाले की खैर नहीं। सचमुच धन्य हो गई संसद, धन्य हो गया देश। मोदी के संसद पहुंचने और प्रधानमंत्री बनने पर ऐसा लग रहा है जैसे सचमुच पहली बार देश का नेतृत्व किसी अपने के पास पहुंचा हो।

हरिओम जोशी, भिण्ड

Updated : 31 May 2014 12:00 AM GMT
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