जनमानस
नारी अस्मिता और बाजारवाद
आज समाज के हर क्षेत्र में बाजारवाद अपनी तमाम हदें लांघ गया है। हमारा माल कैसे अधिक से अधिक बेचा जाए इसके लिए कई कंपनियां विज्ञापन में नारी अस्मिता को तार-तार करने में नहीं चूकती हैं। आए दिन कुछ न कुछ विवादास्पद विज्ञापन की खबर सुर्खी में होती है। हाल ही में चीन की एक कम्पनी ने विज्ञापन का एक नया फण्डा निकाला है। लड़कियों की जांघों पर प्रोडक्ट एड दे रही है। साथ ही बार कोड का टैटू भी बनवा रही है। जिसे मोबाइल के जरिए स्कैन करके प्रोडक्ट की जानकारियां हासिल की जा सकती है। मजे की बात यह है कि झोगनान यूनीवर्सिटी ऑफ इकोनोमिक्स और लॉ कैम्पस की छात्राएं ऐसा करने के लिए उत्साहित है। इससे ग्लैमरपूर्ण मॉडलिंग के साथ धन आय भी होगी, इस तरह के घटिया विज्ञापनों के जरिए निश्चित ही नारी देह का दुरुपयोग हो रहा है। हम विदेशी कल्चर और विदेशी नारियों की बात छोड़ ही दें तब हमारे देश में भी फूहड़ विज्ञापनों की कमी नहीं है। भले ही प्रोडक्ट से नारी का कोई वास्ता न हो लेकिन उसे विज्ञापन में न्यूड दिखाना जैसे जरुरत बन गयी है। कहीं न कहीं ऐसे विज्ञापन नारी अस्मिता पर कुठाराघात करते है। हम सब देखकर चुप क्यों?
कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, ग्वालियर