असर दिखा सकता है 'अलनीनो'

ग्वालियर। एक के बाद एक राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियां अलनीनो की भविष्यवाणी कर रही हैं। अलनीनो के कारण देश में वर्षा, हवाओं और तूफान आदि के रुख में परिवर्तन देखने को मिल सकता है। अलनीनो का असर जून और जुलाई से देखने को मिल सकता है। अलनीनो का प्रभाव सूखे के रूप में भी देखने को मिल सकता है। वर्तमान में अलनीनो की स्थिति सामान्य दर्ज की जा रही है। वहीं अलनीनो को लेकर की गई भविष्यवाणी को ध्यान में रखते हुए किसान अपनी-अपनी फसलों का बीमा करा लेना चाहिए, जिससे संभावित विपदा में उनके नुकसान की भरपाई संभव हो सकेगी।
वर्ष 2009 में भी था अलनीनों का असर
स्थानीय मौसम विज्ञानी उमाशंकर चौकसे ने बताया कि वर्ष 2009 में भी अलनीनो का असर देखने को मिला था। इसका असर इस बार भी होने की संभावना है। श्री चौकसे ने बताया कि चार से छह वर्ष में अलनीनो अपना प्रभाव अवश्य दिखाता है। श्री चौकसे ने कहा कि अलनीनो का असर प्रशांत महासागर में होने वाली घटनाओं पर आधारित होता है। अगर इस बार अलनीनो ने अपना असर दिखाया तो सामान्य से भी कम वर्षा होगी। उन्होंने कहा कि अभी अलनीनो की बात राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर की जा रही है। क्षेत्रीय स्तर पर इसका क्या असर होगा? इसके बारे में जून या जुलाई तक ही मालूम चल पाएगा।
क्या है अलनीनो
ऊष्ण कटिबंधीय प्रशांत के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आए बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को अलनीनो कहा जाता है। यह घटना दक्षिण अमेरिका के पश्चिमी तट पर स्थित इक्वाडोर और परू देशों के तटीय समुद्री जल में कुछ सालों के अंतराल पर घटित होती है। इससे परिणाम स्वरूप समुद्र के सतही जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है और वाष्पीकरण अधिक होने लगता है, जो अलनीनो की घटना में सक्रियता का कार्य करता है। अलनीनो हवाओं के दिशा बदलने, कमजोर पडऩे तथा समुद्र के सतही जल के ताप में बढ़ोत्तरी की विशेष भूमिका निभाता है। अलनीनो के कारण वर्षा के प्रमुख क्षेत्र बदल जाते हैं। परिणाम स्वरूप विश्व के ज्यादा वर्षा वाले क्षेत्रों में कम वर्षा और कम वर्षा वाले क्षेत्रों में ज्यादा वर्षा होने लगती है। कभी-कभी परिणाम इसके विपरीत भी होता है।
कृषि उत्पादन घटेगा
वैज्ञानिकों के अनुसार अलनीनो का असर जून और जुलाई में पूर्ण रूप से देखने को मिलेगा। यही समय बारिश का होता है और इस समय ही खेतों को आगामी फसल के लिए तैयार किया जाता है। अगर मानूसन में कमी आती है, तो इसका प्रभाव कृषि उत्पादन पर देखने को मिल सकता है। अलनीनो के प्रभाव से इस बार भी बारिश कम हो सकती है। इससे पहले भी जब अलनीनो का असर पड़ा था, तब भी कृषि उत्पादन प्रभावित हुआ था।
महंगाई बढ़ेगी
कृषि उत्पादन कम होने से इसका सीधा असर महंगाई पर भी पड़ सकता है। वर्तमान में देश पहले से ही महंगाई की मार से जूझ रहा है। ऐसे में फल, सब्जियों और अनाज के दाम बढ़ेंगे। पानी की कमी होने से चारा आदि पर असर पड़ेगा, जिससे दुग्ध उत्पादन प्रभावित होगा और दुग्ध के दाम भी बढ़ जाएंगे।
फसल बीमा अवश्य कराएं
अलनीनो का सबसे अधिक असर किसानों पर देखने को मिलता है। इस प्रकार की विपदा आने पर किसानों की आय कम हो जाती है। सरकार की तमाम घोषणाओं के बाद भी किसानों को नुकसान के हिसाब से राहत राशि नहीं मिल पाती है। ऐसे में कई बार किसानों को आत्म हत्या जैसे कदम भी उठाने पड़ जाते हैं। अत: ऐसी मुसीबत से बचने के लिए किसानों को फसल बीमा कराना आवश्यक हो जाता है, जिससे उन्हें उनके नुकसान का उचित मुआवजा मिल सकता है।
'वर्तमान समय में अभी केवल अलनीनो आने का अनुमान भर लगाया जा रहा है। जून और जुलाई मे इसके बारे में ठोस स्तर पर कुछ कहा जा सकता है।
डी.पी. दुबे
मुख्य मौसम विज्ञानी
मौसम विज्ञान केन्द्र, भोपाल
तापमान चालीस के पार
मौसम विभाग से मिली जानकारी के अनुसार रविवार को अधिकतम तापमान 40.7 डिग्री दर्ज किया गया, जो औसत से 1.3 डिग्री कम है। न्यूनतम तापमान 25.3 डिग्री दर्ज किया गया जो औसत से 1.4 डिग्री कम है। सुबह की आद्र्रता 41 प्रतिशत रही, जो शाम को घटकर 24 प्रतिशत ही रह गई। आज दिन भर दक्षिण-पश्चिमी हवाएं चलीं, जिनकी गति 4 से 6 किलो मीटर दर्ज की गई। मौसम विभाग के अनुसार आने वाले दिनों में तापमान और अधिक बढऩे की संभावना है।
