जनमानस
विकास तुम कहां हो
लोकतंत्र का सबसे बड़ा महासफर लगभग पूरा हो गया है, देश ही नहीं, बल्कि सारी दुनिया की नजर भारत के चुनावों के परिणामों पर है, यह पहला ऐसा चुनाव था जब भारत के अलावा अमेरिका, चीन, पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में भी इसकी गूंज सुनाई दे रही थी, वहां के न्यूज चैनल भी चटकारे लेकर वहां की जनता की भी राय ले रहे थे। यह बात तो हुई भारत के चुनाव के प्रभाव की पर असल बात तो यह है कि दोनों पार्टियों के नेताओं ने सिर्फ विकास पर ही ज्यादा फोकस किया, वो फोकस नहीं फोकट था, पिछले लगभग 60 सालों में हमने कई प्रकार के चुनावों में हिस्सा लिया, सबका एक ही नारा था कि विकास हम करेंगे बताइये किस पार्टी ने विकास किया, आज भी गरीब वर्ग को दो जून (समय) की रोटी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है, मजदूर अपनी मजदूरी से संतुष्ट नहीं है रक्षा, शिक्षा, चिकित्सा की हालत खराब है, बताइये विकास कहां हुआ? आज एक मजदूर प्रतिदिन 200 रूपए की मजदूरी करता है, पूरे माह की मजदूरी लगभग 6000 रूपए होती है, वहीं मप्र के अतिथि शिक्षक वो भी वर्ग 1 की श्रेणी को उसे मिलते है, मात्र 4500 रुपए यानी मजदूर से भी 1500 रुपए कम यह तो हालत है, हमारे राज्य की शिक्षा की, तो बताइये कहां विकास हो रहा है? नेताजी कहते है हम विकास करेंगे, नहीं वह तो कहते है हमारा विकास करेंगे
कुंदन शर्मा, बड़वानी