राजीव गांधी के हत्यारों पर फैसला टला , सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान पीठ को सौंपा मामला

राजीव गांधी के हत्यारों पर फैसला टला , सर्वोच्च न्यायालय ने संविधान पीठ को सौंपा मामला

नई दिल्ली | सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्याकांड के दोषियों की रिहाई के सवाल को संविधान पीठ के हवाले करते हुए शुक्रवार को पीठ से पूछा कि क्या जिन कैदियों के मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया गया है, उन्हें सरकार रिहा कर सकती है? साथ ही न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि राजीव हत्याकांड के सात दोषी फिलहाल रिहा नहीं किए जाएंगे। सर्वोच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति पी.सतशिवम की अध्यक्षता वाली पीठ ने संविधान पीठ से कई सवाल किए हैं, जिनमें यह भी शामिल है कि क्या सरकार उस कैदी की बाकी की सजा माफ कर उसे रिहा कर सकती है, जिसके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया गया है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि संविधान पीठ ही तय करेगी कि अपराध प्रक्रिया संहिता के तहत इस संबंध में कौन सी सरकार निर्णय ले सकती है, राज्य सरकार, केंद्र सरकार अथवा दोनों सरकारें?
न्यायालय ने तीनों दोषियों के फैसले पर 20 फरवरी को रोक लगा दी थी। न्यायालय ने उनकी रिहाई के फैसले में राज्य सरकार की तरफ से प्रक्रियागत खामियां होने की बात कहते हुए यह रोक लगाई थी। न्यायालय ने 18 फरवरी को इनके मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया था। शीर्ष न्यायालय ने बाद में मामले में दोषी नलिनी, राबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्रन की रिहाई पर भी रोक लगा दी थी।
जयललिता सरकार ने हत्याकांड में 19 फरवरी को सभी सातों दोषियों को रिहा करने का फैसला किया था। संथन, मुरूगन और अरिवू अभी केंद्रीय जेल वेल्लूर में है और वे 1991 से कारागार में बंद हैं। अन्य चारों भी श्रीपेरूंबदूर में 21 मई 1991 को राजीव गांधी के हत्याकांड मामले में अपनी भूमिका के लिए आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।

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