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जनमानस

कांग्रेस सत्तालोलुप

कांग्रेस बगैर सत्ता के रहने की शायद कल्पना भी नहीं करती। जबकि जनता ने आपातकाल की एवज में उसे अपना फैसला भी सुनाया था। आजादी के बाद से अब तक कांग्रेस सत्ता का रसास्वादन करती रही और आज भी सत्ता के लिए एड़ीचोटी का जोर कांग्रेस लगा रही है। मोदी पर निशाना साधते हुए सोनिया कहती हंै कि उनकी महत्वाकांक्षा पर जनता को लगाम लगानी चाहिए। यही बात कांग्रेस के लिए भी लागू होती है। सोनिया को यह क्यों नहीं लगता कि सत्ता में इतने बरस रहकर भी कांग्रेस गरीबों के लिए वह सब कुछ नहीं कर पाई जो उसे करना था। क्या कांग्रेस का नेतृत्व ही देश का विकास है, क्या कांग्रेस का नेतृत्व ही देश की सुरक्षा है, क्या कांग्रेस का नेतृत्व ही आपसी भाई-चारा और अमन है। यदि ऐसा है तो वे बताएं कि किसानों की मौत के बावजूद उन्होंने प्रदेश सरकार को क्या मदद दी? यदि ऐसा ही है तो वे बताएं कि 1962 के चीन-भारत युद्ध में भारत की करारी पराजय किसके कारण हुई? यदि ऐसा ही है तो वे बताएं कि इंदिरा गांधी की हत्या के बाद सिख भाइयों के साथ क्या बर्ताव किया गया? असल में कांग्रेस ने विकास और धर्मनिरपेक्षता की अपनी परिभाषाएं गढ़ रखी है और ऐसे ही विचार युवा पीढिय़ों को कांग्रेस परोसती रहती है, लेकिन इस बार बदलाव की आंधी कांग्रेस को अपने समूचे अतीत, गौरव और सत्ता की लिप्सा को इतिहास के पन्नों में कैद कर देगी तभी शायद कांग्रेस को अपनी स्थिति का भान होगा।

भावना अरविंद, इंदौर

Updated : 22 April 2014 12:00 AM GMT
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