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ज्योतिर्गमय

अवचेतन मन की शक्ति


मन दो प्रकार का होता है। पहला चेतन व दूसरा अवचेतन। चेतन मन के द्वारा मनुष्य जाग्रत अवस्था में सोचता है और बाहरी दुनिया का अनुभव करता है। अवचेतन मन इन्हीं सब बातों को ग्रहण कर सुरक्षित रख लेता है। एक प्रकार से अवचेतन मन को आत्म तत्व के साथ जोड़कर देखा जाता है। एक नियत परिस्थिति में अचानक प्रतिक्रिया इसी अवचेतन मन से आती है और इसी को आत्मशक्ति भी कहते हैं। दुनिया के सभी धर्म विश्वास के रूप हैं और विश्वास कई तरीकों से स्पष्ट किए जाते हैं। अपने जीवन और ब्रह्मांड के बारे में जैसा विश्वास होगा, मनुष्य को वैसा ही मिलता है। मनुष्य अगर विश्वास कर सके, तो उसके लिए हर चीज संभव है। नेपोलियन को विश्वास था कि दुनिया में असंभव शब्द है ही नहीं और इसी विश्वास के चलते उसने बड़े-बड़े युद्ध जीते।
जहां पर सकारात्मक विश्वास मनुष्य को सफलता दिलाता है, वहीं पर नकारात्मक व निराशाजनक सोच मनुष्य को असफलता, संदेह व आत्मविश्वास में कमी की ओर ले जाता है। आज चारों तरफ आपाधापी व स्वार्थपरायणता ने अनेक नौैजवानों को नकारात्मक सोच की तरफ अग्रसर कर दिया है। जब यह सोच ज्यादा बढ़ जाती है, तो अवचेतन मन ऐसी स्थिति में उनसे आत्महत्या जैसा अपराध करा देता है। इससे यह सिद्ध होता है कि मनुष्य का अवचेतन मन शक्ति का भंडार है, जिसमें जैसा मनुष्य एकत्र करेगा, उसका कई गुना वह पाएगा। इसीलिए कहा गया है कि मन के हारे हार है और मन के जीते जीत। अमेरिका के डॉ. जोसेफ मर्फी ने शोध से पता लगाया कि यदि चेतन मन को विश्वास हो जाता है कि वह अब ठीक हो सकता है, तो अवचेतन मन उसे पूरा करने के लिए शक्ति पैदा करता है और अवचेतन मन के आदेश पर मस्तिक उसी प्रकार के हार्मोन पैदा करके उस कार्य को पूरा करता है।
ऐसी मान्यता है कि अवचेतन मन केवल वर्तमान जीवन को ही नहीं प्रभावित करते, बल्कि आत्मा के साथ दूसरे शरीर धारण के समय भी साथ रहता है। दूसरे जन्म में इसी अवचेतन मन के कारण व्यक्तित्व निर्माण व संस्कार प्राप्त होते हैं। इसीलिए यदि मनुष्य वर्तमान जीवन और अगले जीवन में आनंद चाहता है, तो उसे अपने चेतन मन व अवचेतन मन को सकारात्मक सोच व विचारों से परिपूर्ण करना होगा। 

Updated : 21 March 2014 12:00 AM GMT
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