आर्थिक विकास दर घटकर 4.7 फीसदी हुई

आर्थिक विकास दर घटकर 4.7 फीसदी हुई
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नई दिल्ली | देश की विकास दर चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में घटकर 4.7 फीसदी दर्ज की गई। इससे पिछली तिमाही में विकास दर 4.8 फीसदी थी। दर में कमी विनिर्माण एवं खनन क्षेत्र के पिछड़ने के कारण हुई है।
यह लगातार पांचवां सप्ताह है जिस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की विकास दर पांच प्रतिशत के नीचे रही है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के दौरान विकास दर खिसक कर 4.4 प्रतिशत पर पहुंच गई थी और उसके बाद जुलाई से सितंबर के दौरान थोड़ा सुधर कर 4.8 प्रतिशत पर पहुंची थी।
केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, वर्तमान वित्त वर्ष के अक्टूबर से दिसंबर की तिमाही के दौरान विनिर्माण क्षेत्र के आउटपुट में 1.9 प्रतिशत की कमी आई जबकि खनन उत्पादन 1.6 प्रतिशत संकुचित हो गया।
समीक्ष्य तिमाही के दौरान सेवा क्षेत्र का विकास 7 प्रतिशत रहा और कृषि क्षेत्र का विस्तार 3.6 प्रतिशत हुआ।
सीएसओ ने कहा है कि 2013-14 की तीसरी तिमाही के लिए 2004-05 के आधार लागत पर तिमाही जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) 14.8 लाख करोड़ रुपये आकलित किया गया है जबकि इससे पहले के वित्त वर्ष के दौरान इसी अवधि में यह 14.1 लाख करोड़ रहा था। इससे विकास दर 4.7 फीसदी दर्शाता है। ताजा आंकड़े सरकार के दावों और यहां तक कि निजी अनुमानों से बहुत नीचे है। इससे एशिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था में शीघ्र सुधार की उम्मीदें ध्वस्त होती दिख रही है।
इस महीने के शुरू में अंतरिम बजट पेश करते हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने विकास दर में सुधार की उम्मीद जताई थी और इसके 5.2 प्रतिशत पर पहुंचने का अनुमान जाहिर किया था। पहली छमाही में विकास दर 4.6 प्रतिशत रही थी।

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