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जनमानस

राजनेता देता नहीं, लेता ही लेता

व्यक्ति क्यों आता राजनीति में बनने राजनेता, देता नहीं लेता ही लेता। राजनीति में केवल नाम ही नहीं, धन सम्पत्ति, ऐश्वर्य क्या-क्या नहीं सुबह भारी भरकम दोस्तों साथ नास्ता, दोपहर पांच सितारा भोजन से वास्ता भ्रष्टाचार की हद होती है तब बिना लिए फाइल से हाथ लगाते नहीं जब एक चुनाव जीतने के बाद काम की नहीं, चुनावी वायदे की नहीं अगले चुनाव की चिंता, नेताओं के घरों पर डाले जाएं छापे, रिश्तेदारों के घरों पर डाले जाएं छापे छापे में प्राप्त सम्पत्ति हो राजसात। सभी प्रकार की सम्पत्ति हो राजसात, काम नहीं चलेगा केवल राजसात, इज्जत भी हो इन सबकी राजसात। हमेशा के लिए हो चुनाव के अयोग्य, समाज देवा हेतु समाज करे अयोग्य।

ओम वाजपेयी, ठाठीपुर, ग्वालियर

Updated : 28 Feb 2014 12:00 AM GMT
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