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ज्योतिर्गमय

स्वस्थ रहने की कला


स्वास्थ्य के तीन आयाम हैं- शारीरिक,
मानसिक और आध्यात्मिक। शुरूआत होती है मन से यदि मन ठीक है सकारात्मक सोच से भरा हुआ है तो मानसिक स्वास्थ्य ठीक रहेगा। शरीर मन के नियंत्रण पर चलता है। यदि मन ठीक रहेगा शरीर का स्वस्थ रहना निश्चित है। मानसिक और आध्यात्मिक पक्ष एक-दूसरे से जुडे हुए हैं। कुछ सूत्र हैं जिससे हम खुश रह सकते हैं जो कि आवश्यक ही नहीं अनिवार्य है। जीवन में चाहिए सृजनशीलता, समर्पण, मनोरंजन, सहानुभूति, संवेदना, स्थिरता, शान्ति, समय की पाबंदी उसका सदुपयोग, नियम, अनुशासन में रहना स्वयं और दूसरों को उत्साहित करना, नियमित दिनचर्या, गलती न दुहराना, संगीत साहित्य कला में रुचि लेना। कहते हैं संगीत का बहुत प्रभाव पड़ता है। इटली के तानाशाह मुसोलिनी को नींद न आने की बीमारी थी। हमारे देश के एक संगीत मर्मज्ञ स्व. ओंकारनाथ ठाकुर ने उन्हें कहा कि मैं आपको सुला सकता हूं। उन्हें आश्चर्य हुआ पर वे मान गए और ठाकुर ने जब सितार की तान छेड़ी तो वाकई में मुसोलिनी गहरी नींद में सो गया। संगीत से मेघ बरसे हैं, दीये जलाये गये हैं। संगीत ईश्वर की एक अद्भुत रचना है जो हमारे चारों तरफ बिखरा हुआ है। कोयल की कूक, जलधारा से संगीत, पक्षियों की कलरव और न जाने कितने जगहों से ईश्वर ने संगीत की रचना की है। संगीत जीवन का अंग होना चाहिए। संगीत के बाद आता है साहित्य उसकी भी बहुत महत्ता है। जीवन के खालीपन को भरने में उपरोक्त विधाओं का बहुत बड़ा हाथ है। अब आते हैं दूसरों को सम्मान देना, क्रोधमुक्त रहना, संतोष, इच्छामुक्त रहना, बीती बातों को भूलना, तनाव, चिन्ता, भय से मुक्ति। सरलता, आशावान रहना, साक्षीभाव से जीना, व्यस्तता और मस्त रहना। निश्चय में दृढ़ रहना, जिम्मेदारी, समझदारी, ईमानदारी का एहसास, वाणी का सही प्रयोग मतलब मधुर संभाषण। कहा भी है कि ऐसी बानी बोलिये मन का आपा खोय, औरों को शीतल करें आपहु शीतल होय। आत्मविश्वास से भरे रहना, विश्वासम फलदायकम, क्षमा भाव, दान सबका शुभ सोचना, अभिमान का त्याग, आलस्य छोड़ कर्मठ रहना, संकीर्णता छोड़ उदारता रखना, अंसग्रह, संयम, निश्चय, निर्णय, दृढ़ता, विवेक से काम लेना। कहा है नीर क्षीर विवेक होना चाहिए। छोटे-छोटे सूत्र हैं सबको याद रखना मुश्किल है। धीरे-धीरे एक के बाद एक जीवन में उतारते रहें फिर मन को आदत हो जायेगी विशेष प्रयास नहीं करना पड़ेगा। यह सब आत्म सुखाय है। कोई परीक्षा नहीं देनी है। यों तो पूरा जीवन एक परीक्षा है रोज प्रश्न हल करने होते हैं। बस धैर्य रखिए, आगे बढ़ते रहिए सब ठीक होता जायेगा। जीवन में उतार-चढ़ाव आते हैं। जीवन का रास्ता एकदम सुगम, सरल नहीं होता। किसी-किसी का होता होगा वर्ना तो जीवन एक बाधा दौड़ है। बाधाओं को कूदकर पार करते जाइए और सफल जीवन की ओर बढ़ते चलें। जीवन न इतना सरल है न जीवन इतना कठिन कि हल न किया जा सके पर जीवन एक पहेली जरूर है। उसे हल करना होता है धैर्य, शान्ति, निर्भयता से। समस्याएं हैं निदान भी है भगवान ने कोई समस्या बिना निदान के नहीं बनाई। वैसे भगवान को क्यों दोष दें। समस्याएं हम खुद पैदा करते हैं। निदान भी हमें ढूंढना पड़ेगा। भगवान सहायता करता है उसे हमेशा अपने पास इर्द-गिर्द महसूस करते रहिए। उससे बातें करिए वह सुनेगा पर हम उससे संवाद ही नहीं करते। जरा बातें करके देखिये तो जवाब मिलेगा।

Updated : 20 Feb 2014 12:00 AM GMT
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