दिल्ली विधानसभा में नहीं पेश हुआ जनलोकपाल बिल
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नई दिल्ली | दिल्ली विधानसभा में पहले भारी विरोध और फिर बाद में वोटिंग के बाद जनलोकपाल बिल पेश नहीं किया जा सका। आप सरकार ने जनलोकपाल बिल को विधानसभा की मंजूरी के बिना ही पेश करने की कोशिश की थी।
बिल पेश होने के खिलाफ 42 विधायकों ने मत दिया, जिससे यह प्रक्रिया मुश्किल हो गई। आप के विधायकों ने बिल को पेश करने का समर्थन किया था।
इसके साथ ही सवाल उठने लगा है क्या मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने पद से इस्तीफा देंगे। वैसे आज सुबह से ही यह कयासबाजी चल रही है कि अगर यह बिल पेश नहीं किया जा सका तो मुख्यमंत्री इस्तीफा दे देंगे।
दूसरी तरफ कांग्रेस और बीजेपी ने विधानसभा में कहा कि बिल को संवैधानिक तरीके से पेश नहीं किया गया है। दोनों दलों ने कहा कि आप सरकार बिल पेश करने का जो तरीका अपना रही है, वह गैरवाजिब है।
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष ने बिल को विधानसभा में पेश करने की अनुमति दे दी। कांग्रेस ने इस पर कड़ा ऐतराज जताते हुए कहा कि बिल पेश करने के लिए पहले वोटिंग जरूरी है और आप सरकार वोटिंग से बच रही है, क्योंकि उस प्रक्रिया में उसकी हार तय है।
भाजपा के डॉक्टर हर्षवर्धन ने भी कहा कि बगैर लेफ्टिनेंट गवर्नर के आदेश के बिल पेश करना कानून का उल्लंघन है।
इससे पहले विधानसभा में उपराज्यपाल नजीब जंग की चिट्ठी को सभी सदस्यों के सामने पढ़ने की मांग को लेकर जमकर हंगामा हुआ। यह मांग स्पीकर के सामने सबसे पहले भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. हर्षवर्धन ने उठाई। उप राज्यपाल नजीब जंग ने दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को सलाह दी कि वह आम आदमी पार्टी सरकार को जनलोकपाल विधेयक विधानसभा में पेश करने की अनुमति न दें।
आप सरकार का कहना था कि वह इस मुद्दे पर पुनर्विचार नहीं करेगी। उपराज्यपाल नजीब जंग ने कहा कि सदन में पेश करने के लिए विधेयक को आवश्यक मंजूरी नहीं मिल पाई है। विधानसभा अध्यक्ष एमएस धीर को लिखे पत्र में उप राज्यपाल ने कहा कि आप सरकार ने विधेयक सदन में पेश करने के लिए मंजूरी हासिल करने की खातिर आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है।
पत्र में उन्होंने धीर से कहा है कि सदन का संरक्षक होने के नाते उन्हें इस मुद्दे से निपटते समय इन पहलुओं को ध्यान में रखना चाहिए। शीर्ष सूत्रों ने बताया कि जंग के पत्र का सार यह है कि विधानसभा अध्यक्ष को विधेयक सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देना चाहिए। विधानसभा अध्यक्ष को उप राज्यपाल द्वारा पत्र भेजे जाने के तत्काल बाद आप सरकार के सूत्रों ने बताया कि वे विधेयक सदन में पेश करने के फैसले पर पुनर्विचार नहीं करेंगे।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बीती रात फिर दोहराया कि अगर कांग्रेस और भाजपा प्रस्तावित विधेयक को पारित नहीं होने देते हैं तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे। उन्होंने कहा कि हम सत्र की अवधि आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। हम यहां सरकार बचाने के लिए नहीं हैं। हम कल सदन में विधेयक पेश करेंगे। अगर वह अनुमति देते हैं तो ठीक है अन्यथा मैं इस्तीफा दे दूंगा।
धीर को लिखे पत्र में जंग ने संकेत दिया है कि उनकी मंजूरी के बिना विधेयक सदन में पेश करना असंवैधानिक है। केजरीवाल कहते रहे हैं कि विधेयक को सदन में पेश करने के लिए केंद्र या उपराज्यपाल से पूर्व अनुमति लेने की जरूरी नहीं है जबकि भाजपा और कांग्रेस की राय है कि ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स (टीबीआर), 2002 के तहत यह अनुमति जरूरी है।
कानून मंत्रालय का कहना है कि टीबीआर के तहत यह जरूरी है कि उप राज्यपाल ऐसे प्रत्येक विधायी प्रस्ताव को केंद्र के पास भेजें जिसमें अतिरिक्त वित्त सहायता की जरूरत पड़ सकती है। कल से शुरू हुआ चार दिन का विधानसभा सत्र जनलोकपाल और स्वराज विधेयकों को पारित करने के लिए आयोजित किया गया है।
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस समिति के मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा ने बताया कि पार्टी असंवैधानिक जनलोकपाल विधेयक को सदन में पेश करने की अनुमति नहीं देगी, क्योंकि आप सरकार ने आवश्यक प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया है। शर्मा ने कहा कि हम आप सरकार को विधेयक पेश करने की अनुमति कभी नहीं देंगे।
उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को विधेयक पेश करने की अनुमति न देने की सलाह पहले ही दे दी है। विधानसभा अध्यक्ष को उपराज्यपाल की सलाह का पालन करना चाहिए। भाजपा के वरिष्ठ नेता हर्षवर्धन ने कहा कि पार्टी सरकार के किसी भी असंवैधानिक कदम का समर्थन नहीं करेगी।