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धर्मांतरण मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा

धर्मांतरण मुद्दे पर राज्यसभा में विपक्ष का हंगामा
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नई दिल्ली | जबरन धर्मान्तरण एवं काला धन वापस लाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष के भारी हंगामे के कारण राज्यसभा की बैठक कई बार स्थगित कर दी गयी। सुबह सदन की बैठक शुरू होते ही जदयू, सपा सहित विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने कहा कि उन्होंने नियम 267 के तहत कार्यस्थगन प्रस्ताव दिया है। आसन की अनुमति से जदयू के शरद यादव ने कहा कि सरकार ने अपने एक भी वादे को पूरा नहीं किया है।
यादव ने कहा कि सत्तारूढ दल ने सत्ता में आने से पहले पांच करोड़ युवाओं को रोजगार देने, काला धन वापस लाने और खेती करने वालों को उनकी लागत का डेढ गुना देने का वादा किया था। लेकिन सरकार ने इन वादों को पूरा करने के बदले एक नया अभियान ही शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने घर वापसी का अभियान शुरू कर दिया है जिसका चुनाव के पहले कोई उल्लेख नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि गुजरात, केरल और उत्तर प्रदेश मे इस तरह घर वापसी के कार्यक्रम हुए हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबका साथ, सबका विकास का वादा किया था। सरकार को अपना वादा पूरा करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जबरन धर्मातरण के बारे में भाजपा के सांसद और नेता बयान दे रहे हैं। ऐसे में चुप कैसे रहा जा सकता है।
सपा के राम गोपाल यादव ने कहा कि इस सरकार ने काला धन वापस लाने, पांच करोड़ युवाओं को रोजगार देने सहित कई वादे किए थे। उन्होंने कहा कि आज दिल्ली के जंतर मंतर पर मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में विभिन्न विपक्षी दल सरकार द्वारा काला धन वापस नहीं लिए जाने सहित विभिन्न वादों को पूरा नहीं करने के विरोध में धरना दे रहे हैं। हालांकि सरकार की ओर से वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि विपक्ष के कार्यस्थगन प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकती क्योंकि इन मुद्दों पर सदन के इसी सत्र में चर्चा हो चुकी है।
इसी बीच सदन के नेता एवं वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि शरद यादव ने जो मुद्दा उठाया है, उस पर सदन में इसी सत्र में चर्चा हो चुकी है और सदन के नियम के तहत एक ही सत्र में उस मुद्दे पर दोबारा चर्चा नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि विपक्ष यदि किसी अन्य मुद्दे पर चर्चा करने के लिए चाहे तो सरकार तैयार है और चर्चा अभी शुरू की जा सकती है।
माकपा के सीताराम येचुरी ने कहा कि वह सपा एवं जदयू की मांग का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने लाल किले से देश में अगले दस वषरे तक कोई भी सांप्रदायिक घटना नहीं होने का आश्वासन दिया था। लेकिन आज देश में प्रलोभन देकर धर्मातरण की घटनाएं हो रही हैं।
तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा कि विपक्ष चर्चा से भाग नही रहा है। विपक्ष चर्चा चाहता है लेकिन सरकार और प्रधानमंत्री धर्मातरण के मुद्दे पर चुप क्यों हैं। उन्होंने चुनाव प्रचार के दौरान मोदी के 56 ईंच की छाती वाले बयान का जिक्र करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को सदन में आकर बयान देना चाहिए। कांग्रेस के आनंद शर्मा ने कहा कि यह विषय गंभीर है और प्रधानमंत्री को सदन में आकर चर्चा सुननी चाहिए और अपनी बात कहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि चर्चा से विपक्ष नहीं सरकार और प्रधानमंत्री बच रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ताधारी दल के सदस्य और मंत्री विपक्षी नेताओं को बोलने नहीं दे रहे हैं।
भाकपा के डी राजा ने धर्मांतरण के नाम पर कुछ संगठनों द्वारा दिए जा रहे बयानों को निंदनीय करार देते हुए इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग की। इसी बीच सपा के सदस्य हाथों में पोस्टर लिए और नारेबाजी करते हुए आसन के समीप आ गए। हंगामा थमते नहीं देख उपसभापति पी जे कुरियन ने बैठक स्थगित कर दी। गौरतलब है कि जबरन धर्मांतरण के मुद्दे पर प्रधानमंत्री के बयान की मांग पर विपक्ष के हंगामे के चलते पिछले सप्ताह भी उच्च सदन की कार्यवाही लगातार बाधित हुयी थी।

Updated : 22 Dec 2014 12:00 AM GMT
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