जनमानस
लूट का कारोबार
यदि कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया के दामाद रॉबर्ट वाड्रा सिर्फ और सिर्फ सासू के रसूख में लूट के कारोबारी न होते तो हरियाणा और राजस्थान की कांग्रेसों को लीलने के बाद वहां से अपने ढोंगी कारोबार को यूं ही समेटने को प्राप्त नहीं होते। सही कारोबारी सरकारों के बदलने से विचलित नहीं होता बल्कि अपने कारोबार को और बढ़ाने की कोशिश करता है बदली हुई परिस्थितियों का लाभ उठाता है। परन्तु लूट के कारोबीरी रॉबर्ट वाड्रा के पास कंपनियों को बंद करने के अलावा और कौनसा विकल्प हो सकता था। कारोबार में इतना बड़ा मुनाफा संभव नहीं हां रॉबर्ट वाड्रा की संपत्ति जिस प्रकार से बेतहाशा बढ़ी है उसे लूट का पर्याय कहना ही सही होगा। कारोबार का ढोंग अब टूट रहा है तब निश्चित ही वे धन के कदाचारी सिद्ध होते हैें, राष्ट्र के लुटेरे सिद्ध होते हैं। देश की ऐसी लूट ने ही आज कांग्रेस को रसातल में पहुंचाया है। क्या राहुल और सोनिया इस वास्तविकता को समझेंगे।
हरिओम जोशी, भिण्ड