आठ साल में रिश्वत का सबूत नहीं ला पाई पुलिस

भोपाल। विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम संजीव कालगांवकर ने रिश्वत लेने के मामले में फंसे एएसआई एवं एक आरक्षक को अभियोजन द्वारा आरोप प्रमाणित न कर पाने पर भ्रष्टाचार के आरोप से दोषमुक्त कर दिया है। मामला वर्ष 2006 का है इस मामले में आठ साल बाद फैसला आया है।
अभियोजन के अनुसार क्राइम ब्रांच में पदस्थ एएसआई अमर सिंह एवं आरक्षक विनोद सिंह पर सुदर्शन नामक युवक से चोरी के मामले को समाप्त करने के लिए 6 दिसंबर 2006 को 20 हजार रुपए की रिश्वत लेने का आरोप लगाया था। एएसआई अमर सिंह उस दौरान लोकसेवक के रूप में जिला अपराध शाखा में पदस्थ थे। यह रिश्वत विनोद सिंह आरक्षक ने एएसआई अमर सिंह के लिए चोरी का एक मामला समाप्त करने के लिए सुदर्शन से मांगी थी। इसकी शिकायत सुदर्शन कुमार ने तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक डॉ. जीके पाठक से लिखित में की थी, इस शिकायत पर कार्रवाई के लिए तत्कालीन जहांगीराबाद सीएसपी दिलीप सिंह तोमर को कहा गया। श्री तोमर ने एएसआई के खिलाफ कार्रवाई के लिए तत्कालीन थाना प्रभारी एसएम जैदी सहित अन्य स्टाफ को अपने साथ रखा।
रिश्वत की यह राशि अमर सिंह को विधायक विश्राम गृह के पास जैसे ही दी, उसे पकडऩे पहुंचे दल ने दबोच लिया। विशेष न्यायाधीश ने गत माह दिये अपने फैसले में कहा कि अभियोजन में यह प्रमाणित करने में असफ ल रहा कि आरोपियों ने 20 हजार की रिश्वत ली। ऐसे में आरोपी एएसआई अमर सिंह एवं आरक्षक विनोद सिंह को भ्रष्टाचार के आरोपों से दोषमुक्त किया जाता है।