जनमानस

यह विडम्बना नहीं तो क्या है?

भारत पर आजादी के बाद सबसे ज्यादा शासन करने वाली पार्टी कांग्रेस शायद अभी भी पार्टीवाद, नेतावाद और राहुल एवं सोनिया गांधी से नहीं निकल पाई है कि आज तक मैंने ही नहीं शायद किसी भी राष्ट्रभक्त ने कांग्रेस पार्टी के बड़े से लेकर सामान्य कार्यक्रमों में जो नारे लगते हंै वे सिर्फ नेताओं के, कांग्रेस पार्टी जिंदावाद या गांधी परिवार के राजनैतिक हस्तियों के जिंदाबाद तक रहते हैं। अत: शायद कभी ऐसा हुआ हो कि कांग्रेसी कार्यकर्ताओं से लेकर इनके नेताओं तक ने भारत माता की जय हो, का नारा कार्यक्रमों में गुंजायमान किया हो जबकि इस महान नारे की शुरुआत कांग्रेस ने की थी। या दूसरा वंदे मातरम् उद्घोष हुआ हो। क्योंकि कांग्रेस पार्टी और इनके नेता और कार्यकर्ताओं की सोच पार्टी जिंदावाद, नेता जिंदाबाद और गांधी परिवार जिंदाबाद में रमे रहते हैं। अब प्रश्न उठता है कि क्या इन कांग्रेसियों को भारत माता की जय हो और वंदेमारतम् का उद्घोष करने में शर्म आती है या फिर तुष्टीकृत वोट बैंक की राजनीति पर असर पड़ेगा इसका डर लगता है। अर्थात यह स्वार्थ की राजनीति है जिस मातृभूमि की सेवा करना है उसे ही भूल जाएगी। वहीं भारत के प्रधानमंत्री से लेकर सभी बड़े नेता और भाजपा कार्यकर्ता कार्यक्रम की शुरुआत ही भारत माता की जय से करते हैं और गर्व से वंदे मातरम के नारे लगाते हैं। यही नारे कार्यक्रम के समापन पर या नेताओं के भाषण के बाद सुनने को मिलते हंै।
अर्थात कांग्रेस को अब तो समझना ही होगा और जीने-मरने तक इन महान मंत्रों से जुडऩा ही होगा क्योंकि जनता समझदार है और 65 प्रतिशत भारत का युवा भारत माता की जय और वंदे मातरम में अपने आपको डूबा हुआ पाकर गौरवान्वित महसूस करता है। इसलिए जिस मातृभूमि के हम पुत्र हैं उसकी जय बोलना कर्तव्य भी है और गौरव की बात भी है। अत: अब जो इनसे दूर रहेगा वह किस मुंंह से भारत पर शासन करने की बात कर सकता है।
उदयभान रजक, ग्वालियर

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