पलेवा के लिए किसान परेशान

कितने हैक्टेयर में हो गई सिंचाई, अधिकारियों को नहीं पता
भिण्ड। शायद इसे जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता ही कहेंगे कि उन्हें इस बात की जानकारी ही नहीं है कि अब तक कितने रकबे में पलेवा हो गया है तथा कितना रकबा शेष है। जी हां, यह पढ़कर आपको हैरानी होगी, लेकिन यह सत्य है। गोहद में जल संसाधन विभाग में अधिकारियों की मनमानी की बजह से किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रबी फसल के लिए पलेवा करने के लिए बीस दिन पूर्व नहर में पानी छोड़ा गया है, लेकिन पानी से कितनी हैक्टेयर जमीन की सिंचाई हो गई है? इसकी उनके पास कोई जानकारी नहीं है।
जल संसाधन विभाग गोहद के अंतर्गत पलेवा के लिए किसान काफी परेशान है। अधिकारी भी इसको लेकर गंभीर नहीं हैं। किसानों द्वारा पानी की समुचित व्यवस्था कराए जाने की बात अधिकारियों से कही जाती है तो उनका जबाव होता है कि वे व्यवस्था कर रहे हैं। गोहद अनुविभाग क्रमांक दो पर सब इंजीनियर से जब यह जानकारी लेना चाही कि कितने हैक्टेयर में पलैवा हो गया है तथा कितना शेष है तो उनका जबाव था कि मुझे जानकारी नहीं है।
जल संसाधन विभाग के नियमों के अनुसार जब नहर व बम्बा में पानी छोड़ा जाता है तो सबसे पहले टेल भाग से सिंचाई की जाए, लेकिन यहां सब कुछ उल्ट चल रहा है। साथ ही अधीनस्थ अमले को निर्देश दिए गए हैं कि वे इस बात की सतत निगरानी करें। बम्बा व नहर पर अगर कोई पानी मशीनरी के माध्यम से लिफ्ट कर रहा है तो उसके विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की जाए, जिस जगह पशु पानी पीने आते है, वहां पर पक्का निर्माण कराएं, ताकि मिट्टी का कटाव ना हो। जल संसाधन विभाग के अधिकारियों को इस बात की जानकारी ही नहीं है। जब उनसे इस संबंध में पूछा गया तो उनका जबाव था कि हमारे पास ऐसे कोई निर्देश नहीं आए हैं, लेकिन विभाग की जो साइड अपडेट है, उसमें साफ लिखा हुआ है कि सबसे पहले टेल पोर्शन से सिंचाई की व्यवस्था की जाए। इसके अलावा अगर कोई बम्बा व नहर पर मशीनरी से पानी लिफ्ट करता है तो उसके विरुद्ध दण्डात्मक कार्रवाई करें, लेकिन अधिकारी कार्रवाई करें तो भी कैसे क्योंकि उनका अत्याधिक समय अप डाउन में गुजरता है।
कार्यालय में बैठकर भर देते हैं आंकड़े
सिंचाई कितने हैक्टेयर में हो चुकी है? इस बात की जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को प्रगति पत्रक के माध्यम से भेजने में भी ये पीछे नहीं हैं। बिना भौतिक सत्यापन किए ही अपने हिसाब से पुराने आंकड़ों में वृद्धि कर भेज देते हैं। किसान इस समय पलेवा को लेकर काफी परेशान है, लेकिन अधिकारियों को इससे कोई लेनादेना नहीं है।
शासकीय वाहनों का कर रहे निजी उपयोग
जल संसाधन विभाग द्वारा कार्यपालन यंत्री सहित अनुविभागीय अधिकारियों को क्षेत्र में भ्रमण के लिए वाहन उपलब्ध कराया गया है, लेकिन इस वाहन का उपयोग वे अपने निजी कार्यों में कर रहे हैं। शासकीय वाहनों से ही वे अपडाउन करते हैं। उन्हें इस बात का कतई अंदाजा नहीं है कि किसानों को बेहतर पानी सुविधा मिले, इसके निमित्त ही शासन उन्हें मानदेय दे रहा है, लेकिन उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है।