रामपाल को 28 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया, सुनवाई टली
X
नई दिल्ली | पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने वर्ष 2006 के हत्या के एक मामले में विवादास्पद स्वयंभू संत रामपाल की जमानत आज रद्द कर दी और सुनवाई करते हुए उन्हें 28 नवंबर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया।
गिरफ्तार किये जा चुके स्वयंभू संत रामपाल ने आरोपों को खारिज कर दिया कि उन्होंने अवमानना के एक मामले में पुलिस कार्रवाई से बचने के लिए बरवाला के अपने आश्रम के भीतर अपने हजारों अनुयायियों को बंधक बनाए रखने को कहा था। सरकारी अस्पताल में अपनी चिकित्सा जांच के बाद 63 वर्षीय रामपाल ने कहा, ये झूठे इल्जाम हैं।
रामपाल के अनुयायियों ने दावा किया था कि उनके निजी सैन्य कमांडो और अन्य वफादार सेवकों ने उन्हें बंधक बनाए रखा। इस बारे में पूछे जाने पर स्वयंभू संत ने गिरफ्तारी के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में कहा, नहीं यह सत्य नहीं है।
इससे पहले आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने वर्ष 2006 के हत्या के एक मामले में विवादास्पद स्वयंभू संत रामपाल की जमानत आज रद्द कर दी। उच्च न्यायालय ने जमानत रद्द करने के आदेश की घोषणा हरियाणा के महाधिवक्ता और हिसार में बरवाला पुलिस थाने के प्रभारी (एसएचओ) द्वारा पेश आवेदन के तुरंत बाद की जिसमें कहा गया है कि अदालत की अवमानना के मामले में रामपाल को गिरफ्तार कर लिया गया है।
न्यायाधीश एम जयपाल और दर्शन सिंह की पीठ ने आदेश दिया कि रामपाल को 2006 के हत्या मामले में तुरंत गिरफ्तार कर लिया जाए। अदालत की अवमानना मामले में अदालत में पेश होने में विफल रहने पर दस नवंबर को अदालत ने जमानत रद्द करने के मुद्दे का स्वत: संज्ञान लिया था और बचाव पक्ष, सरकार तथा अदालत के न्याय मित्र को सुनने के बाद फैसला 18 नवंबर के लिए सुरक्षित रख लिया था।
पुलिस और रामपाल के समर्थकों के बीच दो सप्ताह से अधिक समय तक चले तनावपूर्ण गतिरोध के बाद रामपाल को बीती रात बरवाला स्थित उनके आश्रम से गिरफ्तार कर लिया गया था। अवमानना मामले में पेश नहीं होने को लेकर रामपाल के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था और वह गिरफ्तारी का विरोध कर रहे थे।