आर्यिका श्री 105 विश्वस्थश्री माताजी की जयपुर में हुई समा

भिण्ड । हलवाई खाना निवासी चित्रकला जैन ने विगत दिनों जयपुर स्थित पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मन्दिर में गणाचार्य विराग सागर महाराज की परम शिष्या आर्यिका गणिनी विशाश्री माताजी ने चित्रकला जैन को क्षुल्लिका दीक्षा देकर नियम संयम से उन्हें आर्यिका श्री 105 विश्वस्थ माताजी नाम दिया था।
जयपुर स्थित पाश्र्वनाथ दिगंबर जैन मन्दिर में आज प्रात: नौ बजे आर्यिका श्री 105 विश्वस्थ माताजी की सल्लेखनापूर्वक समाधि हुई। उनकी जन्म से ही धर्म के प्रति अपार श्रद्धा थी जो कि गृहस्थ अवस्था में रहकर संतों जैसी दिनचर्या से खानपान करती थीं, जो सात प्रतिमा लेकर जीवन का निर्वाहन किया, अंत समय में इन्होंने गृहस्थ अवस्था की बेटी जो आज गणिनी विशाश्री माताजी के नाम से विख्यात हैं। उनसे दीक्षा लेकर आर्यिका श्री 105 विश्वस्थ माताजी बनीं तथा आज जयपुर जैन मन्दिर में इनकी संल्लेखना पूर्वक समाधि हुई। इनकी आयु 91 वर्ष थी। समाधि होने पर आर्यिक विश्वस्थ माताजी का डोला धूमधाम के साथ चूलगिरी ले जाकर विधि-विधान से अंतिम क्रियाएं कराईं। इस अवसर पर आर्यिका गणिनी विशाश्री माताजी ससंघ के साथ जैन समाज, परिवार के सदस्य व अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे।।

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