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दिल्ली सरकार गठन देरी पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र और उपराज्यपाल को फटकार

दिल्ली सरकार गठन देरी पर सुप्रीम कोर्ट की केंद्र और उपराज्यपाल को फटकार
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नई दिल्ली। उच्चत्तम न्यायालय ने दिल्ली में सरकार बनाने के बारे में केंद्र सरकार के फैसला लेने में देरी के लिए केंद्र सरकार और दिल्ली के उपराज्यपाल को फटकार लगाई है। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि लोकतंत्र में राष्ट्रपति शासन हमेशा नहीं रह सकता। संविधान पीठ ने कहा कि उपराज्यपाल को सरकार गठन के बारे में जल्द फैसला लेना चाहिए था और इसमें पांच महीने का समय नहीं लगना चाहिए था। फरवरी में अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के बाद से दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू है।
उच्चत्तम न्यायालय ने कहा कि जनता को चुनी सरकार का हक है , इस मसले पर जल्द फैसला लेना चाहिए था। केंद्र सरकार ने उच्चत्तम न्यायालय को बताया कि राष्ट्रपति ने सरकार गठन के लिए भाजपा को आमंत्रित करने के उपराज्यपाल के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। हालांकि अदालत ने कहा कि वह इस मामले में मेरिट के आधार पर आम आदमी पार्टी ( आप) की याचिका पर सुनवाई करेगा ।
इस बीच राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने उपराज्यपाल नजीब जंग की वह सिफारिश मंजूर कर ली है, जिसमें उन्होंने विधानसभा को भंग करने से पहले सबसे बड़े दल भाजपा को सरकार बनाने का मौका देने की सिफारिश की थी। इस मसले पर सुबह राजनिवास ने कहा कि सरकार के गठन का मामला उच्चत्तम न्यायालय में लंबित है और उस पर आज सुनवाई होनी है, इसलिए जो भी कहना है वह उच्चत्तम न्यायालय के सामने ही जाहिर किया जाएगा ।
दूसरी ओर प्रदेश भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश उपाध्याय का कहना है कि इस मामले में पार्टी उचित समय पर उचित प्रतिक्रिया व्यक्त करेगी, क्योंकि पार्टी को पहले यह अधिकृत तौर पर तो पता चल जाए कि क्या वाकई राष्ट्रपति भवन ने भाजपा को सरकार बनाने की इजाजत दे दी है । कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता मुकेश शर्मा के अनुसार गृह मंत्रालय के दबाव में राजनिवास पक्षपात पूर्ण काम को अंजाम देने की कोशिश कर रहा है। मुकेश शर्मा के अनुसार भाजपा के पास अभी भी बहुमत नहीं है और अब उसके पास कोई काला जादू आ गया है, जिससे वह अब दिल्ली में सरकार बना लेगी।
आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया ने कहा है कि भाजपा चुनाव से डर रही है और उनके पास आंकड़ा नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा पहले मना कर चुकी है, तो अब उसे न्योता कैसे मिल सकता है।

Updated : 28 Oct 2014 12:00 AM GMT
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