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ज्योतिर्गमय

ईश्वर आराधना

कहते हैं यदि भगवान हमारे साथ हो तो कौन हमारे खिलाफ जा सकता है या बिगाड़ सकता है। कहते हैं जब भगवान के सामने हाथ जोड़ते हैं तो भगवान अपने हाथ खोल देता है आशीर्वाद देने के लिए, मदद करने के लिए। बस मन में विश्वास आवश्यक है। विश्वास आपको मजबूत बनाएगा ताकि आप दुनिया में अपना काम मजबूती, साहस से संपादित कर सकें। अपने आप में विश्वास एक धार्मिक कृत्य है क्योंकि आप उसकी संरचना है। अपने पर विश्वास भगवान पर विश्वास है। चिन्ता भय रोग है, स्वास्थ्य आपके मन की संरचना पर निर्भर है। आपके आध्यात्मिक स्तर पर बहुत कुछ निर्भर करता है। घुटनों के बल बैठकर प्रार्थना करना आपके हृदय और नाड़ी पटल के लिए लाभदायक है। इसलिए नमाज एक व्यायाम है और यदि कोई पांच बार नमाज पढ़ता है तो समझो अपने स्वास्थ्य को मजबूत करता है। दीर्घायु होना निश्चित होता है यदि जीवनचर्या सही हो, मन शांत हो तो जो आपसे शत्रुता रखते हैं आप उनसे प्यार करें, उन्हें शुभकामनाएं भेंजे। जो आपसे घृणा करते हैं उनका भी भला सोचें, करें यही ईश्वर की आराधना है। कहा भी है जो तोको कांटा बोये वाको बोय तू फूल। हमेशा भला करें जिन लोगों का हो सके, जितना हो सके, जब तक हो सके यह एक आराधना का फार्मूला है। एक साधु गंगा में स्नान कर रहे थे इतने में सामने से एक बिच्छू बहता हुआ जा रहा था तो उन्होंने उसे हाथ से पकड़कर किनारे फेंक दिया। तब तक उस बिच्छू ने उन्हें डंक मार दिया। अपना-अपना धर्म दोनों ने निभाया। दूसरों के व्यवहार से हमें अपना धर्म नहीं बदलना चाहिए। आदमी का नजरिया ऐसा होना चाहिए कि हम हमेशा अच्छा देखें। एक आदमी खिड़की के बाहर देखता है तो उसे चांद दिखाई देता है वहीं दूसरे आदमी को कीचड़ दिखाई देता है। हमें अपनी नजर ऊंची रखनी चाहिए तो छोटी-छोटी बातें हमें परेशान नहीं करेंगी। ईश्वर की आराधना है क्या अच्छा सोच, अच्छी दृष्टि, अच्छे काम, अच्छे बोल, अच्छी भावना इतना भी कर लिया तो आप पूजा-पाठ करें न करें कोई फर्क नहीं पड़ता। ईश्वर नहीं चाहता कि आप उसकी पूजा तो करें पर इंसानों को और अन्य प्राणियों की सेवा करना, भला करना न भूलें। ईश्वर सब देखता है उससे कुछ छिपा नहीं रह सकता। उसकी नजर पूरी सृष्टि पर है, सब जगह पर है। इसलिए हमें यह हमेशा याद रखना चाहिए कि वह सब कुछ जानता है, देखता है। किसी संत ने सच कहा है कि 'धन्य-धन्य यह नर देह। यह है अपूर्वता का गेह।Ó और यह भी कहा है जो दीन-दु:खी जन से प्रतिक्षण, अनुभव करते हैं अपनापन है वे ही साधु और सान, समझो उसमें ही भगवान। इसलिए समानता ही ईश्वर आराधना है। बस यही मेरा संदेश है। 

Updated : 25 Oct 2014 12:00 AM GMT
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