जनमानस

संस्कारों की गंगोत्री संयुक्त परिवार
समाज में बढ़ रही विकृतियों को समाप्त करने के लिए हमें अपनी प्राचीन संस्कृति का पुन: अनुसरण करना होगा। आधुनिकता की दौड़ में हमने प्राचीन संस्कारों का परित्याग कर दिया और दिखावे की वजह से स्वयं को ही अनेक समस्याओं से ग्रस्त कर लिया। संयुक्त परिवार को विघटित कर एकल परिवार के निर्माण से कुछ स्वतंत्रताएं जरूर अर्जित कर ली, किन्तु परिवारों में इस स्वतंत्रता पर नियंत्रण ना होने से चारित्रिक पतन भी प्राप्त किया। चरित्र के पतन से अनंत समस्याओं का जन्म होता है। स्वनियंत्रण और स्वविवेक तो इस पतन से स्वत: समाप्त हो जाता है।
नरेश कुशवाह, मुरैना
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