आज विदेश मंत्रालय में गूँज बढ़ती जा रही है राष्ट्रभाषा हिंदी की :

आज विदेश मंत्रालय में गूँज बढ़ती जा रही है राष्ट्रभाषा हिंदी की :
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नई दिल्ली | विदेशमंत्री सुषमा स्वराज ने विदेश मंत्रालय में हिंदी में कामकाज करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को पुरस्कार वितरित करते हुए कहा कि आज इस मंत्रालय में हिंदी की जितनी गूँज हो रही है उतनी इसके पहले कभी नहीं हुयी।
इसका उदहारण हाल ही में स्वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हुयी जिन्होंने विदेश में मैडीसन स्क्वायर गार्डन में राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रयोग किया। इससे पहले अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पहली बार संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में सम्बोधन किया।
मोदी विदेश नेताओं के साथ वार्ता के दौरान भी हिंदी में ही बोलते हैं। इससे दुनिया के नेतायों को भी लगता है कि भारत की भी अपनी कोई राष्ट्रभाषा है।
स्वराज ने स्वयं अपनी भाषा नीति के बारे में कहा कि वह अंग्रेजी भाषा- भाषी विदेशी नेताओं के साथ तो अंग्रेजी में संवाद करती हैं लेकिन जो नेता अपने देश की भाषा में बात करते उनसे हिंदी में चर्चा करती है। दुभाषिया इसका भाषांतर करते हैं।
सरकार में अपने अनुभव का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार के चार मंत्रालयों में काम करने का अनुभव है लेकिन उन्होंने विदेश मंत्रालय के अधिकारियों और कर्मचारियों को हिंदी में सबसे अधिक पारंगत पाया। अधिकारी उन्हें विभिन्न मुद्दों पर हिंदी में ब्रीफ करते हैं और उनका अनुभव है कि उनकी हिंदी बहुत अच्छी होती है भले ही यह अधिकारी गैर हिंदी राज्यों के हों। लेकिन उन्होंने कहा कि फाइलों पर टिपण्णियां अभी भी अंग्रेजी में ही होती हैं।
उन्होंने कहा कि अन्य देशों के राजदूत जब भारत आते हैं तो वह हिंदी सीखने की कोशिश करते हैं। उन्हें यह देख कर दुःख भी होता है कि भारत में उच्च पदस्थ लोग हिंदी की बजाय अंग्रेजी में बात करना पसंद करते हैं। ऐसे लोग खालिस हिंदी में एक वाक्य भी नहीं बोल सकते। विदेशी लोग आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि क्या भारत की अपनी कोई भाषा नहीं है। यह स्थिति दुखद है क्योंकि भारत में अंग्रेजी बोलने वालों की संख्या केवल दो प्रतिशत है।
विदेशमंत्री ने कहाकि हिंदी सप्ताह, पखवारा या माह आयोजित करने तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि कोशिश यह होनी चाहिए कि पूरे वर्ष हिंदी का अधिक से अधिक प्रयोग किया जाय। इन आयोजनों को केवल रस्मी नहीं बनाया जाना चाहिए। सभी लोगों को अपनी भाषा का स्वाभिमान होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं होना चाहिए कि हिंदी पखवारे के समय तो हिंदी का प्रयोग किया जाय लेकिन बाकी साढ़े ग्यारह महीने इसकी उपेक्षा कर दी जाय।
विदेशमंत्री ने विदेशमंत्रालय के विभिन्न विभागों और विदेश स्थित दूतावासों में कार्यरत अधिकारियों और कर्मचारियों को हिंदी प्रयोग और विभिन्न प्रतिस्पर्धाओं के लिए पुरस्कार वितरित किये। विदेश मंत्रालय में अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व अब कमजोर पड़ रहा है और राष्ट्रभाषा हिंदी की गूँज बढ़ती जा रही।

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