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जनमानस

महिमा मण्डन संत को शोभा नहीं


सुबह-सुबह घर से ड्यूटी के लिए निकला था, नयाबाजार से गुजर रहा था रास्ते में राष्ट्रसंत जैन मुनि पुलक सागर महाराज का दर्शन लाभ हुआ, मैंने भी प्रणाम किया इस बात में कोई दोराय नहीं कि संत पुलक सागर जी विलक्षण विद्वान, प्रज्ञावान संत है।
किन्तु एक बात खटकने वाली यह लगी थी कि संत श्री के आगे एक लोडिंग वाहन पर बड़ी-बड़ी डी.जे. साउण्ड की कैवनेट झंकार करती आगे बढ़ रही थी। भक्तों की उक्त श्रद्धा समझ से परे लगी, चलो भक्तों की तुच्छ बुद्धि में बात नहीं आ सकती, साथ ही भक्त तो भक्त होता है। बहुत तो अपने प्रिय संत के प्रति श्रद्धा प्रकट करना चाहते हैं। लेकिन उक्त महिमा मण्डन से संत को परहेज करना चाहिए क्योंकि भक्त संसारी होता है।

कुंवर वीरेन्द्र सिंह विद्रोही, ग्वालियर

Updated : 18 Oct 2014 12:00 AM GMT
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