ज्योतिर्गमय

जीवन की वचनबद्धता


बहती हुई नदी का पानी एक विशेष दिशा में बहता है, जबकि बाढ़ की अवस्था में पानी बिना किसी क्रम के दिशाविहीन होकर बहता है।
इसी प्रकार हमारे जीवन में यदि ऊर्जा को कोई दिशा प्रदान नहीं की जाती है तो यह दिग्भ्रमित हो जाती है। जीवन की ऊर्जा के प्रवाह के लिए एक दिशा की आवश्यकता होती है।
जब तुम प्रसन्न होते हो तो तुम्हारे अन्दर अत्यधिक जीवन ऊर्जा होती है, लेकिन जब जीवन ऊर्जा यह नहीं जानती है कि कहां और कैसे जाना है तब यह अवरुद्ध होकर जड़ हो जाती है। जिस प्रकार जल की धारा को बहते रहना है, उसी प्रकार जीवन की धारा को भी चलते रहना है।
जीवन ऊर्जा को एक दिशा में चलने के लिए बचनबद्धता आवश्यक है. एक विद्यार्थी स्कूल कॉलेज में बचनबद्धता के साथ प्रवेश लेता है. एक परिवार भी बचनबद्धता के साथ चलता है. वास्तव में तुम किसी से किसी प्रकार की बचनबद्धता की आशा रखते हो और जब वे नहीं करते हैं तो तुम मानसिक हलचल से ग्रसित हो जाते हो।
या जब कोई अपनी बचनबद्धता का पालन नहीं करता है तो भी तुम मानसिक हलचल से ग्रसित हो जाते हो। लेकिन तुम देखो कि तुमने अपने जीवन में कितनी बचनबद्धताओं को लिया है और उनका पालन किया है। यदि तुम अपने परिवार का पालन-पोषण करने की बचनबद्धता लेते हो तो तुम्हें उतनी शक्ति या क्षमता प्राप्त होती है। यदि तुम्हारी बचनबद्धता किसी समुदाय के प्रति है तो तुम्हें उतनी अधिक मात्रा में शक्ति, प्रसन्नता और क्षमता प्राप्त होती है।
जितनी अधिक बचनबद्धता वहन करते हो, उतनी ही अधिक शक्ति उसे वहन करने के लिए प्राप्त होती है. छोटी प्रतिबद्धता तुम्हें घुटन देती है, क्योंकि तुम्हारी क्षमता बहुत अधिक है। जब तुम्हारे पास दस कार्य करने को होते हैं और एक गलत हो जाता है, तो तुम बाकी को करते रह सकते हो। लेकिन यदि केवल एक ही कार्य होता है और वह गलत हो जाता है तो तुम उसी से चिपके रह जाते हो। तुम जितना बड़ा कार्य करने की बचनबद्धता करोगे, उतने बड़े स्रोत प्राप्त हो जाएंगे।
अपनी क्षमता के बाहर हाथ-पैर फैलाने से विकास होता है। जैसे ही तुम और अधिक उत्तरदायित्व लेते हो, तुम्हारी क्षमता भी बढ़ जाती है, बुद्धिमता बढ़ जाती है, प्रसन्नता बढ़ जाती है और तुम दैविक शक्ति के साथ एकीकृत हो जाते हो।

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