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जनमानस

नायक बने केजरीवाल


'नायक' फिल्म के नायक (अनिल कपूर) के समान केजरीवाल भी शायद एक दिन में जनता से किए गए सभी वादों को पूर्ण करने का प्रयास करते नजर आ रहे हैं। इसलिए मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली की घोषणा कर शायद उन्होंने यह दिखाने का प्रयास किया है कि मैं भी कुछ कार्य कर सकता हूं, मुझे लगता है शायद केजरीवाल होश-होश में जोश खोते नजर आ रहे हंै, घोषणा करने से पूर्व परिणामों पर भी विचार करना आवश्यक है। मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली देकर शायद वे जनता की आदत तो खराब नहीं कर रहे है। इस प्रकार की घोषणाओं के परिणाम क्या होंगे, इसका विचार करना चाहिए। मुफ्त पानी व मुफ्त बिजली देने के लिए राशि की व्यवस्था कैसे होगी क्या जनता को राहत देने के लिए इस प्रकार के कदम उठना उचित हैं, आज जनता पानी के बिल व बिजली के बिलों के भय के कारण सही कम से कम बिल भरने की उसको आदत बनी रहती है। वैसे भी जो टैक्स हम सरकार को देते हैं, उनके द्वारा ही सरकार शासकीय योजनाओं व विकास कार्यों को कराती है। यदि हमें पानी व बिजली के बिलों की राशि प्राप्त नहीं होगी तो इन योजनाओं का संचालन व संधारण किस प्रकार होगा यह भी एक विचारणीय प्रश्न है। एक समस्या और पैदा होगी वह है, फिजूल खर्च की यदि जनता को पानी, बिजली मुफ्त में मिलेगी तो क्या उसकी फिजूल खर्ची रोक दी जा सकती है। कदापि नहीं, आज वैसे ही संपूर्ण विश्व पानी की कमी के कारण चिंतित है तथा यह भी कहा जा रहा है कि तृतीय विश्व युद्ध पानी को लेकर होगा, ऐसे में मुफ्त पानी देकर शायद केजरीवाल तृतीय विश्व युद्ध को कराने की ओर बढ़ते नजर आ रहे हैं। यदि आम व गरीब आदमी की इतनी ही चिंता है तो बिलों की राशि या दर घटाई जा सकती थी, वैसे भी दिल्ली की सरकार वित्तीय मामलों में लगभग पूर्ण रूप से केन्द्र सरकार पर निर्भर है ऐसे में यदि केन्द्रीय अनुदान का यही हश्र रहा तो जल्दी ही इसके नतीजे हमारे सामने होंगे। केजरीवाल की सरकार बिजली कम्पनियों का अंकेक्षण कैग से कराने की बात करते हैं, वे यदि वास्तव में आर.टी.आई. व सामाजिक अंकेक्षण में हिमायती है तो उन्हें इसका अंकेक्षण कैग से न कराते हुए सामाजिक अंकेक्षण कराना चाहिए। दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने से पूर्व स्वयं को देखना चाहिए, वैसे भी जब हम एक उंगली दूसरे की ओर करती हैं तब तीन उंगलियां हमारी ओर इशारा करते हैं, दिल्ली सरकार को बहुत संभलते हुए कार्य करने की आवश्यकता है। केजरीवाल की सुरक्षा में आज भी सुरक्षा गार्ड मौजूद हैं जबकि उन्होंने किसी भी प्रकार की सुरक्षा लेने से इन्कार कर दिया था। उनके एनजीओ का मिले पैसे की भी जांच होनी चाहिए।

संजय जोशी, ग्वालियर

Updated : 6 Jan 2014 12:00 AM GMT
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