जनमानस
दिल्ली में आप का ड्रामा
सचमुच कथनी और करनी में मौलिक फर्क होता है। यह वर्तमान में आप पार्टी के मुख्यमंत्री केजरीवाल चरितार्थ कर रहे हैं। अदना सी दिल्ली पुलिस के लिए मुख्यमंत्री को सड़क पर आसन लगाने की कोई जरुरत महसूस नहीं होती पुलिस की ज्यादतियों के खिलाफ और कई तरीके हो सकते है। सड़क छाप ड्रामा मुख्यमंत्री की गरिमा के अनुकूल कार्य नहीं हो सकता, लेकिन मिस्टर केजरीवाल ने दिल्ली में बहुमत हासिल क्या कर लिया पी.एम. की कुर्सी का ख्वाब पाल बैठे है। लोगों को भावनात्मक रूप से प्रभावित कर बैसाखी वाली सरकार से ज्यादा उम्मीद नहीं की जा सकती यह बात प्रथम जनता दरबार में उजागर हो चुकी है। सत्ता परिवर्तन करना और सत्ता सुचारू रूप से चलाना दो अलग-अलग बाते हैं। सत्ता कभी दिल से नहीं चलती, सत्ता दिमाग से चलती है। कुमार विश्वास जैसे बड़बोले कवियों से नहीं आप में आप-आप की (स्वार्थ) लड़ाई आरम्भ हो गई है। देखो आगे आप क्या-क्या ड्रामा दिखाती है।
कुंवर वी.एस. विद्रोही, ग्वालियर