पन्द्रह मिनट में पता चल जाएगा किस बंदूक से चली गोली

ग्वालियर में सवा करोड़ की लागत से बनेगी बैलेस्टिक लैब

अमित मिश्रा, ग्वालियर | ग्वालियर में सवा करोड़ की लागत से बैलेस्टिक लैब बनेगी। इसके बनने के बाद शस्त्र परीक्षण की जिस प्रकिया में एक सप्ताह से लेकर दस दिन का समय लगता था, वह परीक्षण मात्र पन्द्रह मिनट में हो जाएगा। अभी तक बैलेस्टिक इकाई केवल मध्यप्रदेश के सागर स्थित स्टेट फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में है।
ग्वालियर की क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला में बैलेस्टिक इकाई खोले जाने को हरी झण्डी मिल गई है, साथ ही इसका ब्लू प्रिंट भी तैयार हो चुका है। इस पर सवा करोड़ रुपए खर्च होगा। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो इसके लिए कुछ राशि मिल भी चुकी है। जल्द ही इसका कार्य शुरू हो सकता है। बैलेस्टिक इकाई क्षेत्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोशाला परिसर में ही खोली जाएगी।

क्या है बैलेस्टिक लैब
बैलेस्टिक लैब फोरेंसिक जांच का प्रमुख अंग है। इस लैब में विशेष प्रकिया के तहत शस्त्र परीक्षण किया जाएगा। हत्या, हत्या के प्रयास, हवाई फायरिंग जैसे मामलों में सामने आता है कि कई बार यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है कि कारतूस कौनसा है। साथ ही कई बार हवाई फायरिंग के फर्जी मामले सामने आ जाते हैं। जिसमें फरियादी अपनी ओर से ही कारतूस लेकर पुलिस के पास पहुंच जाता है और विरोधी का नाम लेकर उस पर गोली चलाने का आरोप लगाता है। ऐसे प्रकरणों में कारतूस के परीक्षण का अधिक महत्व होता है। इसी प्रकार हत्या, हत्या के प्रयास जैसे मामलों में फरियादी के शरीर में जो गोली लगी। पुलिस उसे जब्त करती है। इसके बाद आरोपी को जब पकड़ा जाता है तो उससे हथियार जब्त किया जाता है। तब भी इस परीक्षण की आवश्यकता पड़ती है।


कैसे होगा परीक्षण
बैलेस्टिक लैब में एक कम्पयूटराइज्ड जांच उपकरण लगा होगा। उपकरण का नाम कम्पेरिजन माइक्रोस्कोप होता है। लैब में फायरिंग रेंज भी होती है। यह उपकरण एक सॉफ्टवेयर के तहत चलता है। किसी कारतूस के परीक्षण के लिए कारतूस को उपकरण में निर्धारित स्थान पर लगाना होता है। इसके बाद कम्पयूटर स्क्रीन पर जानकारी भरने के बाद एंटर किया जाता है और पूरी रिपोर्ट सामने आ जाती है। इस उपकरण की कीमत लगभग 70 से 80 लाख रुपए के बीच है।

समय की बचत
गोली चलने के मामले ग्वालियर-चंबल अंचल में सबसे अधिक होते हैं। इसे देखते हुए ग्वालियर में बैलेस्टिक काफी महत्वपूर्ण है। अभी तक इस परीक्षण में एक सप्ताह से दस दिन तक का समय लगता है, क्योंकि अभी परीक्षण के लिए जब्त कारतूस को सागर भेजा जाता है। लेकिन यहां लैब बनने के बाद मात्र पन्द्रह मिनट में पूरा परीक्षण आ जाएगा और रिपोर्ट भी मिल जाएगी। इससे मामलों की विवेचना भी जल्द हो जाएगी।
भोपाल-होशंगाबाद की जांच भी होगी ग्वालियर में
बैलेस्टिक इकाई खुलने के बाद ग्वालियर, चंबल संभाग के परीक्षण तो यहां होंगे ही। इसके अतिरिक्त भोपाल और होशंगाबाद संभाग के परीक्षण भी यहीं होंगे।


''ग्वालियर में बैलेस्टिक लैब बनने के लिए प्रस्तावित है। इस प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।
राजीव टंडन
एडीजी सीआईडी 

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