आरबीआई ने की रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी

आरबीआई ने की रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की बढ़ोतरी
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मुंबई | भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति समीक्षा में मुख्य दरों की घोषणा की है। अपनी इस घोषणा में आरबीआई का के गवर्नर रघुराम राजन ने कहा कि रेपो रेट में 0.25 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की गई है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने सीआरआर में कोई बदलाव नहीं किया है।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने महंगाई पर लगाम कसने के लिए मंगलवार को मुख्य नीतिगत दरों में 0.25 फीसदी की वृद्धि कर दी। इससे वाहन, आवास और अन्य ऋण महंगे हो सकते हैं और औद्योगिक विकास दर घट सकती है। मौजूदा कारोबारी साल की मौद्रिक नीति की तीसरी तिमाही समीक्षा में आरबीआई ने रेपो दर को 7.75 फीसदी से बढ़ाकर 8 फीसदी कर दिया। रेपो दर वह दर होती है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अल्पावधिक जरूरतों की पूर्ति के लिए आरबीआई से कर्ज लेते हैं।
इसके साथ ही रिवर्स रेपो दर को भी बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया गया। यह वह दर होती है, जो आरबीआई वाणिज्यिक बैंकों को उनकी अतिरिक्त रकम आरबीआई में लघु अवधि के लिए जमा करने पर देता है। आरबीआई ने सीमांत स्थायी सुविधा को भी 0.25 फीसदी बढ़ाकर 9 फीसदी कर दिया। नकद आरक्षित अनुपात को हालांकि 4 फीसदी पर बरकरार रखा गया।
इन दरों के आधार पर वाणिज्यिक बैंकों की ऋण और जमा दरें निर्धारित होती हैं। जिससे मकान, वाहन और अन्य ऋणों की मासिक किस्तें भी प्रभावित होती हैं। अधिकतर विश्लेषकों का अनुमान था कि आरबीआई दरों में कोई बदलाव नहीं करेगा, क्योंकि महंगाई में कुछ गिरावट दर्ज की गई है।
दिसंबर में थोक महंगाई दर पांच महीने के निचले स्तर 6.16 फीसदी पर दर्ज की गई। नवंबर में यह 14 महीने के ऊपरी स्तर 7.52 फीसदी पर थी। उपभोक्ता महंगाई दर में भी गिरावट दर्ज की गई है। दिसंबर में यह 9.87 फीसदी थी, जो नवंबर में 11.16 फीसदी थी। बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने समीक्षा बयान में कहा कि हाल में गिरावट के बाद भी महंगाई दर अधिक है। नीतिगत फैसले का मकसद महंगाई कम करना है।
उन्होंने हालांकि कहा कि निकट भविष्य में मौद्रिक नीति में और सख्ती लाने की संभावना नहीं है। कारोबार जगत और सरकार के कुछ हलकों में दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही थी, क्योंकि विकास दर दशक के निचले स्तर पर पहुंच गई है। देश की विकास दर मौजूदा कारोबारी साल की पहली छमाही में 4.6 फीसदी दर्ज की गई है, जो एक दशक से अधिक अवधि का निचला स्तर है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आधार पर मापे जाने वाले औद्योगिक उत्पादन में भी नवंबर में 2.1 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। राजन ने कहा कि आरबीआई को भी विकास को लेकर चिंता है और वह धीमे-धीमे सुधार करते हुए विकास को बढ़ावा दे रहा है।

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