बहुरंग

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पक्षी का संदेश


एक धनी किसान ने बहुत सारी जमीन पर धान की फसल रोपी और उसकी रखवाली के लिए अनेक नौकर तैनात कर दिए। वे रात-दिन रखवाली करते, लेकिन फिर भी पक्षी आकर फसल खा जाते।
नौकरों ने यह बात किसान को बताई, तो उसने रखवालों को जाल फैलाने का आदेश दिया, ताकि पक्षियों को पकड़ा जा सके। एक दिन उसमें एक सुंदर पक्षी फंस गया। नौकर उसे किसान के पास ले गए। उन्होंने कहा -यह रोज हमारे खेत से भरपेट धान खाता है और खाने के बाद कुछ धान की बालियों को मुंह में दबाकर उड़ जाता है। किसान ने सुना तो बोला- अच्छा अब हम इसे सजा देंगे।
तभी पक्षी बोल पड़ा-सजा देने से पहले आप मेरी भी सुन लें। जमींदार ने कहा- ठीक है कहो। पक्षी ने कहा-आपके इतने बड़े खेत से मेरे चोंच भर हिस्सा लेने से आपका कुछ विशेष नुकसान नहीं हो जाएगा। मैं अपने खाने के बाद केवल छह बालियां लेकर जाता हूं। किसान ने पूछा-किस लिए? पक्षी ने कहा- मैं दो बालियां अपने वृद्ध माता-पिता के लिए लेकर जाता हूं। उन्हें अब दिखाई नहीं देता है। मेरा कर्तव्य है कि मैं अपने वृद्ध माता-पिता का पालन-पोषण करूं, उन्हें भूखा न रखूं।
दो बालियां नन्हे-मुन्हे बच्चों के लिए लेकर जाता हूं और दो बालियां परमार्थ रूप में अपने बीमार पड़ोसियों के लिए लेकर जाता हूं। यदि जीवन में इतना परमार्थ भी न कर सकूं तो मेरा जीवन व्यर्थ है। पक्षी का कथन सुनकर किसान बहुत प्रभावित हुआ। उसे लगा इससे सीखने की जरूरत है। उसने पक्षी को आजाद कर दिया।

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