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जनमानस

'सैफई' में नैतिकता का चीरहरण


सुप्रसिद्ध समाजवादी चिंतक और राजनेता डॉ. राम मनोहर जी लोहिया और राजनीति के युगपुरुष तथा समग्र कांति के स्वप्न दृष्टा स्व. श्री जयप्रकाश नारायण की पवित्र आत्मा उ.प्र. की अखिलेश-मुलायमसिंह की सरकार का 'सैफई महोत्सव देख कर तार-तार हो रही होगी। मुलायमसिंह के पैत्रिक गांव, जो अब सुप्रसिद्ध पर्यटन और समाजवादियों के लिए तीर्थस्थल बन चुका है, में इन दिनों राजनीति और लोकतंत्र का दामन पर अमानवीयता और सामंती मनोग्रंथि की जो इबारत लिखी जा रही है, वह इबारत अमानवीय आचरण का कुष्ठरोग बन कर उभर आई है। जिस प्रदेश में राहत शिविरों में रहने वाले 28 से ज्यादा बच्चे ठंड से अपनी जान गंवा चुके हों, जिस प्रदेश में सरकारी राजनेता राह चलती महिलाओं की अस्मत, नपुंसक बना दी गई पुलिस के सामने ही लूट रहे हों, जिस प्रदेश में गरीबी, भुखमरी और कुपोषण के कारण किसान और मजदूर आत्महत्या करने पर विवश हों, उस प्रदेश का मुखिया अपने परिवार और अपने दल के लठैतों के साथ कला एवं संस्कृति के नाम पर रात-रातभर अश्लील डांस देखे, तो क्या इस राजनैतिक संस्कृति को देख कर समाजवाद के पुरोधा लोहिया जी की आत्मा विदीर्ण नहीं हुई होगी। क्या इसी राजनैतिक चिंतन का दम भरते है लोहिया जी के यह कथाकथित चेले मुलायम और लालू।
क्या यह वही मुलायमसिंह है जो एक स्कूल मास्टर से पहलवान बने और पहलवानी के अखाड़े से अजमाइश करते-करते अचानक राजनीति को उन्होंने अखाड़ा बना दिया। समग्र क्रांति का शंखनाद की उपज एक संगठित राजनैतिक गिरोह के मुखिया बन कर सत्ता पर काबिज इस राजनेता ने सैफई में जिस भोगी राजनैतिक संस्कृति का बीजारोपण किया है क्या वह राजनैतिक संस्कृति अब उ.प्र. की फूटी हुई किस्मत बन गई है। क्या सैफई महोत्सव जैसे आयोजन देश की सड़ी गली राजनैतिक कुव्यवस्था का वह कुरूप चेहरा है, जिस व्यवस्था के जाल में आज देश के लगभग सभी राजनैतिक दल फंस चुके हैं। राजनीति को शा में 'वैश्या कहा गया है। क्या सैफई महोत्सव राजनैतिक वेश्यावृत्ति है। सैफई जैसे आयोजनों के उपरान्त उ.प्र. सरकार को कोई नैतिक अधिकार नहीं है, सत्ता को भोगने एवं लोकतान्त्रिक पद्धति से चुनी गई सरकार में बने रहने का। परन्तु मुलायमसिंह का रिश्ता तो नैतिकता से बीस साल पूर्व ही टूट चुका था जब उन्होंने निहत्थे कारसेवकों का कत्लेआम करा कर मुल्ला मुलायमसिंह की उपाधि प्राप्त की थी। अब तो वह नैतिकता का चीरहरण कर रहे हैं।
नीति पाण्डेय मुरैना

Updated : 18 Jan 2014 12:00 AM GMT
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