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ज्योतिर्गमय

मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ प्राणी

बुद्धि और ज्ञान उसके मुख्य गुण हैं, जिनके बल पर वह संसार के सब प्राणियों का सम्राट है। मनुष्य सर्वशक्तियों का समूह है. भगवान ने सर्वश्रेष्ठ ज्ञान उसके मन, शरीर और आत्मा में भर दिया है। इसी शरीर में देवत्व का दर्शन होता है। मनुष्य का निर्माण ईश्वरीय नियम, संदेश, सद्भावनाओं और विवेक आदि के व्यापक प्रसार तथा सृष्टि में सत्य, न्याय और प्रेम के स्थापन के लिए किया गया है।
ईश्वर को मनुष्य ही ऐसा प्राणी मिला, जिसके द्वारा अन्य प्राणियों द्वारा किया हुआ शक्ति का दुरुपयोग रोका जा सकता था। छल, झूठ, कपट, स्वार्थ, शोषण, अपहरण और बेईमानी का अन्त हो सकता था। उन्होंने मनुष्य को ऐसी दिव्य शक्तियां दीं, जिनके द्वारा सात्विक वृत्तियों की प्रतिष्ठापना हुई, असत्य का अन्त हुआ और धर्म की ध्वजा फहरी। सत्य, समानता और सदाचार का व्यापक प्रसार कर मनुष्य ने सृष्टि को रहने योग्य बनाया है. मनुष्य के अन्दर ईश्वर का जो केन्द्र है, वह आत्मा है।
यह मनुष्य का शक्ति-केन्द्र है, जिसके द्वारा हमें ईश्वर के गुप्त संदेश निरन्तर मिला करते हैं। आत्मा के आदेश से मनुष्य योग्यतम और श्रेष्ठतम कर्तव्य की ओर चलता है, पुण्य-संचय करता है, अन्य प्राणियों से उच्च स्तर पर चढ़ता है। सद्गुणों को बढ़ाता है, आत्म-बल विकसित करता है। वास्तव में मनुष्य में अन्य जीवों से अधिक विकसित होने की जो क्रिया चल रही है, उसका कारण आत्मा के गुप्त दैवी आदेश ही हैं।
मनुष्य ही वह पूर्ण विकसित प्राणी है, जो संसार के असंख्य पशु-पक्षियों पर राज्य कर रहा है। मनुष्य अपने बुद्धि-वैभव और बौद्धिक, मानसिक शक्ति से सबको परास्त कर देता है। ईश्वर का वरदहस्त सदा उसके साथ है। हमारा वह शक्तिशाली पिता, गुप्तरूप से शक्ति का स्रोत हमारे पीछे है, तब हम भला कैसे अशक्त, असहाय और अयोग्य बने रह सकते हैं? हम सब जीवों के सिरमौर हैं. हमारे कण-कण में ईश्वरीय शक्ति का निवास है। हमें आत्मशक्ति से सर्वत्र राज्य करना है।
मनुष्य सर्वश्रेष्ठ प्राणी है। वह जिन अचूक ब्रह्मास्त्रों को लेकर पृथ्वी पर अवतीर्ण हुआ है, उसके मुकाबले अन्य कोई नहीं ठहर सकता। मनुष्य परमात्मा का अमर पुत्र है। उसे ऐसे दिव्य गुणों से विभूषित किया गया है कि दूसरा कोई जीव मुकाबले में न आ सके. उसे भौतिक, मानसिक और आध्यात्मिक सम्पदाओं से युक्त होना चाहिए. अनंत, अखंड, सुख-शांति का भागी बनाना चाहिए। जो मनुष्योचित श्रेष्ठ कार्य करता है, ईश्वर या अल्लाह उसे ही पसंद करते हैं. ऐसे व्यक्ति के ऊपर ही उनकी शक्ति अवतरित होती है।

Updated : 7 Sep 2013 12:00 AM GMT
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