ज्योतिर्गमय
गहरे पानी पैठ
बिना बिचारै जो करै सो पाछे पछिताय।
काम बिगाड़ै आपनो जग में होत हंसाय॥
जब मैं जीवन की ओर दृष्टिपात करता हूं, तो यह कहावत कितनी सत्य मालूम पड़ती है। हम जल्दी में निर्णय लेकर कोई क्रिया कर बैठते हैं और जीवन भर उसके फलस्वरूप बिसुरते रहते हैं। जब हम बचपन में कोई काम जल्दी-जल्दी कर लेना चाहते थे, तो घर के बड़े-बूढ़े कहते थे, जल्दी का काम शैतान का। उस समय तो बात समझ में नहीं आती थी, पर बाद में प्रतीति होती थी कि हां, जल्दबाजी करके हमने कितनी बड़ी भूल कर ली है।
हम कभी व्यक्ति की किसी एक छोटी सी क्रिया को देखकर उसके संबंध में एक मत बना लेते हैं। हमें लगता है कि वह कितना अहंकारी है, अपने को बड़ा मानता फिरता है, और शायद हम ऐसा सोचकर उसके प्रति अवांछित क्रिया कर बैठते हैं। जब उसके साथ थोड़ी सी घनिष्ठता यह बताती है कि वह अहंकारी नहीं, बल्कि संकोची है और संकोच के कारण अपने को अलग-थलग रखता है, तब हमें अपनी भूल मालूम होती है और हमें अपने किये का पश्चाताप होता है।
बचपन में एक कहानी पढ़ी थी। एक गृहिणी पानी भरने कुएं पर गयी थी। घर में उसका छोटा सा बच्चा सोया हुआ था। उसके घर में एक पालतू नेवला था। जब वह पानी भरकर आई, तो नवेला दौड़कर दरवाजे पर आया और अपना मुंह उठा उठाकर गृहिणी की ओर देखने लगा। गृहिणी ने देखा कि नेवले के मुंह में खून ही खून लगा है। उसे लगा कि नेवले ने उसके छोटे बच्चे को काट खाया है। इतना रोष उसमें पैदा हुआ कि उसने जल का पात्र नेवले पर दे मारा और जोरों से दौड़कर वह घर में घुसी। जाकर क्या देखती है कि उसका बच्चा सुरक्षित सोया हुआ है और उसके पास ही एक विषधर के कई टुकड़े पड़े हुए हैं। तब सारी बात गृहिणी की समझ में आ गई और वह दरवाजे की ओर दौड़ी। नेवले ने उसके बच्चे को सांप से बचा लिया था। पर नेवला तो चकनाचूर होकर मृत पड़ा था।
यह कथा हमारा मार्गदर्शन करती है। मुझे अपने जीवन में इस कहानी से बड़ा लाभ मिला है। जब कुछ तथ्यों के आधार पर मैं कोई निर्णय शीघ्रता में लेने जाता हूं, तो यह कहानी याद आ जाती है और मैं निर्णय को रोक देता हूं। कुछ समय बीतने पर जब और कुछ तथ्य मिलते हैं, तब सोच-विचार कर निर्णय लेता हूं। मैंने पाया है कि जल्दबाजी में लिया गया निर्णय हमेशा अपूर्ण होता है और उससे हानि ही होती है।
जीवन में सफलता का रहस्य हमारे लिए गए निर्णयों में निहित होता है। सफल व्यक्ति के जीवन का अध्ययन करने पर पाएंगे कि वह शीघ्रता में कोई निर्णय नहीं लेता, निर्णय लेने से पहले वह गहराई में पैठता है और पक्ष-विपक्ष दोनों को तौलकर तब निर्णय लेता है। उथला व्यक्ति जीवन में सफलता नहीं पा सकता। जीवन में सफलता किसी बात की गहराई में पैठने की हमारी क्षमता पर निर्भर करती है।
यहां एक बात कह दें कि कार्यकुशल व्यक्ति भी अपना कार्य शीघ्र कर लेता है, पर वह हड़बड़ी में काम नहीं करता। काम में कुशल होना और हड़बड़ी में काम करना-ये दोनों अलग-अलग बातें हैं। हमें कार्यकुशल होना चाहिए, हड़बड़ी में काम करने वाला नहीं।