जनमानस
नीतीश की चिढऩ
लोकप्रियता की लोकनिष्ठा में सोनिया प्रधान कांग्रेस के उलट राजनाथ सिंह ने दबाव मुक्त होकर नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के लिए प्रस्तुत कर दिया है। विनाश काले विपरीत बुद्धि की प्रतिक्रिया में नीतीश कुमार ने मोदी के नाम पर सही मायने में अपनी दशा से चिढऩे का बर्ताव उन्हें ही नष्ट कर रहा है उनकी वर्तमान छवि आतंकवादी पोषित मुस्लिम वोट की चाहत में धर्मनिरपेक्ष की जगह सांप्रदायिक बन चुकी है। इसी प्रकार से कांग्रेस पार्टी अब तक कहती थी कि भाजपा मोदी के लिए प्रधानमंत्री पद के नाम की घोषणा क्यों नहीं करती। अब जब प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी की घोषणा हो चुकी है तो कांग्रेस पार्टी को मानो सांप सूंघ गया हो। यही नहीं कांग्रेस की बंधुआ मीडिया भी चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए नाम की घोषणा पर तमाम तरह के आलोचनात्मक विश्लेषण पेश कर रहे हैं। प्रधानमंत्री पद के लिए लोकमत की लोकतांत्रिक चाहत की अवहेलना को अच्छा समझ रहे है। देश का प्रधानमंत्री कौन होना चाहिए चुनाव पूर्व घोषणा जरूरी है भले ही बाद में गठबंधन की मजबूरी में कुछ भी होता रहा है।
हरिओम जोशी, भिण्ड