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नकारात्मक मतदान कर सकते हैं मतदाता: सर्वोच्च न्यायालय

नकारात्मक मतदान कर सकते हैं मतदाता: सर्वोच्च न्यायालय
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नई दिल्ली | सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में कहा कि मतदाताओं के पास नकारात्मक वोट डाल कर चुनाव लड़ रहे सभी प्रत्याशियों को अस्वीकार (रिजेक्‍ट) करने का अधिकार है। न्यायालय का यह निर्णय प्रत्याशियों से असंतुष्ट लोगों को मतदान के लिए प्रोत्साहित करेगा। निर्वाचन आयोग को उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों में और मतपत्रों में प्रत्याशियों की सूची के आखिर में ‘ऊपर दिए गए विकल्पों में से कोई नहीं’ का विकल्प मुहैया कराएं ताकि मतदाता चुनाव लड़ रहे प्रत्याशियों से असंतुष्ट होने की स्थिति में उन्हें अस्वीकार कर सके।
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनाव आयोग को मतदाताओं को इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) में 'कोई नहीं' का विकल्प देने को कहा है। सर्वोच्च न्यायालय ने यह फैसला एनजीओ पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज की याचिका पर दिया है।
ईवीएम में 'इनमें से कोई नहीं' के विकल्प के बाद मतदाता अब कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आने पर उन्हें रिजेक्ट कर सकेंगे। उम्मीदवारों के नाम के नीचे ईवीएम में 'इनमें से कोई नहीं' का बटन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस फैसले को लागू करने में मदद करने को कहा है।
चुनाव आयोग ने 10 दिसंबर 2001 को ही उम्मीदवारों के नाम के बाद 'इनमें से कोई नहीं' का विकल्प देने का प्रस्ताव सरकार को भेजा था, लेकिन इन 12 सालों में इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया। आखिरकार सर्वोच्च न्यायालय ने मतदाताओं को यह अधिकार दे दिया।
चुनाव सुधारों की मांग कर रहे कार्यकर्ताओं का कहना है कि किसी क्षेत्र में अगर 50% से ज्यादा वोट 'इनमें से कोई नहीं' के ऑप्शन पर पड़ता है, तो वहां दोबारा चुनाव करवाना चाहिए। अभी ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह मतदाता का अधिकार है कि वह सभी उम्मीदवारों को खारिज कर सके। चुनाव आयोग ने भी इसका समर्थन किया था और सुझाव दिया था कि सरकार को ऐसा प्रावधान करने के लिए कानून में संशोधन करना चाहिए। हालांकि, सरकार ने इसपर कोई कार्रवाई नहीं की।


Updated : 27 Sep 2013 12:00 AM GMT
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