जनमानस
ईसाई संस्था ग्रेस होम और इस्लाम के बुखारी
विमर्श में विशेष टिप्पणी आसाराम और भी हैं पढऩे को मिली। आज प्रसार संख्या में पाठकों और दर्शकों के बल पर विशाल मीडिया समूह अपने आप को बेचे जाने और गिरवी रखे होने की जिस संकीर्ण मानसिकता को प्राप्त हुए हमें उसमें पाठकों और दर्शकों को ठगे जाने के कुसूरवार प्रिंट और इलैक्ट्रॉनिक मीडिया का विशाल बाजार चिंता का विषय बना है। पैसे का प्यार इतना प्रबल हो गया है कि खुद का जमीर मारकर भी लोग साजिश का हिस्सा बन रहे हैं। ईसाई संस्था ग्रेस होम ने यौन उत्पीडऩ में 7 से 15 साल की उम्र की लड़कियों को ल्यूकेरिया का शिकार बना दिया और आरोपी फादर जेकबजान ऐसे छुपा लिए गए जैसे उनके खिलाफ लिखने वालों के हाथों को लकवा मार गया हो मानो इस ईसाई संस्था के खिलाफ लिखने के लिए मेडम सोनिया ने मनाही कर दी हो। नरेन्द्र मोदी को वीजा न देने पर अमेरिकी समाचार को आज भी सुर्खियों में छापा जाता है परन्तु 1984 के दंगों में कांग्रेस की खतरनाक भूमिका में न्यूयार्क अदालत द्वारा सोनिया के सम्मान का समाचार कोई मायने नहीं रखता, कलम बेचने वाले लोगों को शर्म आनी चाहिए। 67 आपराधिक प्रकरण होने के बाद भी बुखारी पकड़े नहीं जाते तब देश अराजकता और आतंक से कैसे मुक्त रह सकता है।
हरिओम जोशी, भिण्ड