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जनमानस

हिन्दुओं को दबाने का एक और प्रयास

अयोध्या की धार्मिक परिक्रमा यात्रा पर उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा रोक लगाया जाना एक प्रकार से एक वर्ग को प्रसन्न करने का राजनीतिक प्रयास है जो हिन्दुओं के विरोध में उठाया गया एक सुनियोजित कदम है।
विश्व हिन्दू परिषद द्वारा समर्थित सन्तों की अयोध्या परिक्रमा यात्रा सन्तों द्वारा घोषित कार्यक्रम था। जब सन्त सरकार को अपने इस कार्यक्रम की जानकारी देने सरकार के मुखियाओं के पास गए, तब सन्तों को संभवत: यही लगा कि सरकार अपने सरकारी धर्म का पालन करते हुए अयोध्या की इस 84 कोसी परिक्रमा को पूरी सुरक्षा प्रदान करेगी। सरकार ने तो इस यात्रा को ही प्रतिबंधित कर दिया। अब इसके पीछे सरकार के क्या निहितार्थ हो सकते हैं, ये सरकार के नुमाइंदे ही बता सकते हैं लेकिन इस प्रतिबंध से एक बात जरूर सामने आ रही है, जिस प्रकार उत्तरप्रदेश सरकार के काबीना मंत्री आजम खान की सक्रियता देखी जा रही है, उससे तो ऐसा ही लगता है कि सरकार ने यह कदम आजम खान के कहने पर मुस्लिम समुदाय को खुश करने के लिए उठाया है। अगर वास्तव में सरकार ने इसी सोच को आधार बनाकर यह कदम उठाया है तो यह कहा जा सकता है कि सरकार ने अपने धर्म का पालन नहीं किया। सरकार को करना यह चााहए कि सन्तों की इस यात्रा को एक राजनीतिक दल के नाते भले ही समर्थन नहीं करते, परन्तु एक सरकार के नाते उन्हें समर्थन ही नहीं बल्कि पूरी सुरक्षा भी प्रदान करनी चााहिए। लेकिन सरकार ने ऐसा क्यों नहीं किया, इस सवाल का जवाब आज पूरा देश मांग रहा है।
भारत देश में स्वतंत्रता के पश्चात ही हिन्दुओं को दबाने का खेल शुरू हो गया था। हमेशा ही एक पक्षीय राजनीति का बोलबाला रहा, जिसके कारण हिन्दू दोयम दर्जे का नागरिक बनकर रह गया। स्थिति बिगडऩे का भय दिखाकर हमेशा ही हिन्दुओं को दबाने का काम हमारे देश की सरकारों द्वारा किया जाता रहा है जिस कारण भारत का हिन्दू समाज अपने ही देश में अपने मानबिन्दुओं के समर्थन में आवाज उठाने की भी हिम्मत नहीं कर पा रहा, लेकिन आज का हिन्दू समाज हिन्दू विरोधी चालों को समझ चुका है, राजनेताओं का कुत्सित खेल अब सामने आ चुका है।

सुरेश हिन्दुस्तानी, ग्वालियर

Updated : 30 Aug 2013 12:00 AM GMT
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